SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान ५० (२) (३) 'दुर्जनों के भाव कैसे होते हैं ? - उनको आनन्द नहीं मिलता (न मोआ) जिनों का क्या करके मुनि सुखी होता है ? - उनके आदेश का पालन करके (आयरियाणं) ३आदि और अन्त के बिना "माण" और "मोह" कैसे होते हैं ? - णमो (णमो) "विपुल धन का भार किन व्यक्तियों पर बढ़ता है ? - जिनकी आय में वृद्धि होती है (आयरियाणं) 'किस प्रकार का व्यक्ति विद्या और विज्ञान का भागी है और किन व्यक्तियों के लिए ? - जो आचार्यों को नमस्कार करता है (नमो आयरियाण) 'ऐसा कौन सा अनवद्य महामन्त्र है जो पानी और अन्य विघ्नों को रोक देता है ? अपने मनमें उस पर ध्यान करना चाहिए । - आचार्यों को नमस्कार (नमो आयरियाणं) (४) 'वाक्य के अलंकार के उपयोग में क्या है ? - णं निपात (णम्) संत्रस्त व्यक्ति किस शब्द का प्रयोग करता है ? - ओ (ओ) किसकी सेवा करके व्यक्ति विवेकी होता है ? - उपाध्यायों की आज्ञा की (उवज्झायाणं) ४आरम्भ के बिना और विलोम के "आयाणं" का क्या होता है ? - णंया (णंया) 'इस संसार में सबसे पहले कौन क्या पढ़ाता है ? - अध्यापक, ओं (उज्झावउ ओं) ६अभाव का द्योतक क्या है ? - नकार (ण) "किस प्रकार के लोगों के लिए पाप के भार का क्या परिणाम होता है? - हत्याकारियों के लिए मुक्ति नहीं (ण मोउ वज्झायाणं) "नीले रंग के किस शब्द पर दिन में तीन बार ध्यान करने से दुःख का भार नष्ट हो जाता है ? - उपाध्यायों को नमस्कार (णमो उवज्झायाणं) (५) 'सुख क्या है ? - ऋण का अभाव (न 'णं) 'गुणों से समृद्ध क्या है ? - मौन (मोणं) ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy