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________________ मार्च २०१० गुजारवानुं कारण पूछतां वचनसार बोल्यो : 'बकरो रोज पचाश सोनामहोर हगे छे, आज ओक ओछी हग्यो !' बापुओ पूंठ पर चोटेली जोई वचनसारने आपी अने लोभ-लालचवश हजारमां बकरो खरीद्यो. बीजे दिवसे सोनामहोरने बदले मात्र लींडी मळता बापु वचनसार पासे गया तो वचनसारे कह्युं : 'बकरानी पूंठे आ चिपिटनासना काननो मेल लगाडो तो ज बकरो पचाश सोनामहोर हगे !' लालचु बापु हजार सोनामहोर आपी चीबाना काननो मेल पण खरीद्यो. ओमां छेतराया छे ओनो अनुभव करी धूंवाफूंवा थता बापु वचनसारने मारवा लीधो त्यारे एणे फरी युक्ति करीने 'बूढीने मारो तो जवान थाय' ओवो चमत्कारी लालियो धोको पधराव्यो. बापु घरडां ठकराणांने जुवान करवा धोकाव्यां ने ठकराणानां हाडकां भांग्यां ने धूतारा वचनसारने पकडवा गया ने कोथळामां पूरी डुबाडवा गया. परंतु हरणुं जोतां बापुनी डाढ डऴकी ते कोथो मूकी बापु पाछळ दोड्या. आवी चडेला भरवाडे वचनसारने मुक्त कर्यो तो वचनसार बोल्यो : 'मारे परणवं नथी, तोय मारो बाप मने परणाववा मागे छे.' भरवाड भोळवायो, पोतानो माल धूताराने सोंपी कोथळे पूरायो, धूतारो भरवाडनो माल लई आगळ नीकळी गयो. हरण पाछळ गयेला बापु पाछा आव्या ने कोथळाने नदीमां डुबाडी आगळ चाल्या तो अमने माल चारतो वचनसार मळ्यो. ओणे कह्युं : 'नदीनो यक्ष प्रसन्न थयो ने मने माल आप्यो. ' लालचु बापु जाते कोथळे पुराया अने डूबी मर्या. ६९ प्राकृतस्रोतमां लिखित दस्तावेजीकरण पामी चूकेली दशमी-अगियारमी सीन आ कथाओ अनुगामी कण्ठपरम्पराओमां पण छेक वीसमी सदीना उत्तरार्धमां पोतानुं अस्तित्व टकावी राखे छे. लोकविद्याविद्-भाषाशास्त्री प्रो. डॉ. शान्तिभाई आचार्ये कच्छ - गुजरात - सौराष्ट्रनी विविध बोलीओ पर ई. १९६५ थी ई. १९८५ सुधी सर्वेक्षण करीने काम कर्तुं अने विविध कथकोनी बोलीमां कहेवायेली लोककथाओने विद्यापीठना सामयिकमां, डॉ. भायाणी सम्पादित 'वाग् - विमर्श' मां अने 'सीदी - कच्छी वार्ताओ', 'हेंडो वात मांडीओ' (ई. १९९०) वगेरे पुस्तकोमां कण्ठप्रवाहनी कथाओ आपी. ताजेतरमां ज गुजराती साहित्य परिषद द्वारा तेमनो 'अमे बोलीओ छीओ' (इ. २००९) नामनो बोली विषयक शास्त्रीय ग्रन्थ प्रगट थयो छे तेमां पांत्रीशेक जेटली कण्ठ Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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