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________________ मार्च २०१० बनवानी नथी, सदा Open ज रहेवानी छे, कदी पूर्ण बनवानी नथी. आ महत्त्वनी वात छे. आ रहस्यनो स्वीकार तेने सदा चेतनवन्ती, जीवन्त राखशे, सदा वधु ने वधु समृद्ध थती राखशे, अन्यथा तेनी पूर्णतानो स्वीकार अ ज तेनो विनाश- अन्त बनी रहेशे समन्वय विचारधाराओनो करवानो छे अने ओटले ज बधी भारतीय अने अभारतीय - विचारधाराओनो अभ्यास जरूरी छे. अन्यथा समन्वय शेनो करीशुं ? फ्रोईड, युंग, हेगल, कान्ट, शोपनहोर, अरविन्द, रवीन्द्रनाथ, शंकराचार्य, बुद्ध, धर्मकीर्ति, वगेरेने वांचवा - समजवा पडशे. सीमामां बद्ध रहेवुं नहि पालवे, मनने मुक्त करवुं पडशे. आचारनी बाबतमां जैनाचार्योओ वारंवार भारपूर्वक कह्युं छे के आ करवुं ज अने आ नज करवुं ओवी एकान्त आज्ञा भगवाननी नथी परंतु पुरुष, देश, काळ, वगेरेने लक्षमां लई विवेकबुद्धि जे नक्की करे ते करवुं. तेवी ज रीते, जैनाचार्योओ अनेकान्तवादने अनुसरी कहेवुं जोइओ के तत्त्व आवुं ज छे अने आवुं नथी ज म भगवाननुं कहेवुं नथी परंतु ते ते देश-काळे उपलब्ध बधी ज दृष्टिओने ध्यानमां लइ समन्वयकारी विवेकबुद्धि जे नक्की करे तेवुं तत्त्व ते ते देश काळे समजवुं / स्वीकारखं. प्रथम स्तवनमां सर्वदर्शनमान्य कर्मसिद्धान्तने आधारे सतीप्रथानुं खण्डन छे. ते ज स्तवनमां जगतनिर्माणने ईश्वरनी लीला माननारना मतनो प्रतिषेध छे. लीला, क्रीडा तो आनन्दप्राप्ति माटे होय, पूर्णानन्द लीला करे नहि, छठ्ठा स्तवनमां जैन कर्मसिद्धान्तनी सारभूत बाबतो जैन परिभाषामां निरूपी छे. बारमा स्तवनमां जैन मते आत्मस्वरूपवर्णन छे. वीसमा स्तवनमां आत्मा विशेना विविध दार्शनिक मतोनुं जैन दृष्टि निरसन छे. आठमा स्तवनमां सूक्ष्म निगोदथी संज्ञी पंचेन्द्रिय सुधीना जीववर्गोनी गणना छे. आ उपरांत, प्रसंगे प्रसंगे नयवाद, द्रव्यगुणपर्यायवाद, सप्तभंगी, निश्चय - व्यवहार आदिना उल्लेखो तेमनां स्तवनो अने पदोमां मळे छे. अहीं से वस्तु ध्यानमा राखवी जोईओ के स्तवनो अने पदोमां जैन सिद्धान्तोना उल्लेख के निर्देशने अवकाश छे, अथी विशेषने अवकाश नथी. अहीं आपणे बारमा स्तवननी नीचेनी पंक्तिओ उपर विस्तारथी विचार करीशुं. Jain Education International 2010_03 ५५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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