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________________ अनुसन्धान ५० (२) २२ ग्रहणके दत्तांनि । तस्योपरि अहिम्मदावादनी टंकसालिना आकरा कोरा मासा २३ ११॥ ना रूपैआ ८२३ अंके आठसहि त्रेवीस पूरा रोकडां । बाई पूजी पाशेथी साह २४ तीलोकशीअि लेईनि ए हाट बाई पूजीनी ग्रहिणि आपू छि । हवि ए हा २५ ट पड्यूं करापिते । तथा राजक दैवक लागीते । तथा नलीआंनी खोटि ए हाट छोड२६ वतां सर्वे ए हाटना धणी वर्ती आपि । संचरामणी बिसनारनी । रूप्पै२७ आनूं वाज नही । ए हाट भाड्यूं नही एणिहिरि बाई पूजी तथा बाई २८ पूजीना पुत्र पेटना परिवार बिसि वसिइ आपे । ग्रहि मूकि । तिहारि २९ ए हाटना धणी कणवार न करि । वलतीउ वर्ष अक १ प्रति थोकडि दोकडा ३० १० दस छूटा त्रांबाना वलती । यिह्वारि साह तीलोकशी रूप्पैआ आठसहि ३१ अकवीस पूरा रोकडा एकिमूठि बाई पूजीनि । तथा बाई पूजीना पुत्र परिवारनि आपी ३२ तिह्वारि ए हाट छूटि । ए हाटनु को वहिरशि आपि तेहनी साह तीलोकशी प्री३३ छवी वारि । ए हाट साह तीलोकशीनि मुहुसाल पक्ष्यानूं छि । ए हाटनां षा(खा)३४ ल प्रनाल नेव पेढी । पगथाईआं सर्वा पूर्वा रीति समंधी सही । रूप्पै३५ आ मधे रूप्पैआ ४९८ ए बाई पूजीअि पोतानी मुहुरना आपा छि । तथा रूप्पैआ ३२५ ३६ त्रणसहि पंचवीस साह वीरजी यादवना । बाई पाशे सूष(ख)डीना हता ते बाई पूजीअि आ३७ पा छि एणी वगति जमलि रूप्पैआ ८२३ आठसहि त्रेवीस आपीनि ए हाट ग्रहिणि लीबूं छि Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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