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माहिती :
नवां प्रकाशनो १. उत्तराध्यायाः (१,२) अंचलगच्छीय-श्रीजयकीतिसूरिरचित-दीपिका (विक्रमनी १५मी सदी) टीका-सहित, सं. साध्वी चन्दनबालाश्रीजी, प्रका. - भद्रङ्कर प्रकाशन - अमदावाद, २००९
आ संस्कृत टीका सहित श्रीउत्तराध्ययनसूत्रनी सम्पादित आवृत्ति वि.सं. १९६६मां पण्डित हीरालाल हंसराज - जामनगर द्वारा प्रकाशित थई हती. तेमां रहेली अशुद्धिओ, सम्मार्जन वगेरे करवापूर्वक तेनुं पुन: सम्पादन साध्वीजी श्रीचन्दनबालाश्रीजीए कर्यु छे. अध्ययनोनो संक्षिप्त परिचय, विस्तृतविषयानुक्रमणिका, १० परिशिष्टो वगेरे उमेरीने तेमणे सम्पादनने वधु समृद्ध बनाव्यु छे. टीका अत्यन्त सरल अने सुबोध छे. उत्तम मुद्रण. २. भारतीय संस्कृतिनो आत्मा (श्रीवीरचंद राघवजी गांधीनुं चरित्र); लेखक - कुमारपाल देसाई; प्र. वर्ल्ड जैन कन्फेडरेशन, मुम्बई, ई. २००९
ई. १८९३मां शिकागो USA मां मळेल विश्वधर्म परिषद्मा जैन धर्मना प्रतिनिधि तरीके, पूज्य श्रीविजयानन्दसूरि (आत्मारामजी) महाराजनी आज्ञाथी गयेल अने ते परिषद्मा तेमज त्यार पछीना विदेश- वसवाट दरम्यान जैन धर्मनो विश्वने परिचय करावनार तेमज धर्मनी उत्तम प्रभावना करनार विद्वान् जैन सज्जनना प्रभावक जीवननो प्रभावक परिचय करावतुं चरित्र-पुस्तक. आ विद्वान् गृहस्थना जीवनविषयक सामग्री महदंशे क्यांय सचवाई नथी, ते एक दुःखद बीना छे. छतां जे आछी पातळी सामग्री देश-विदेशमाथी जडी शकी, तेनो आधार लईने एक कुशल शब्दशिल्पीनी जेम लेखके श्रीवीरचंद गांधीना जीवननुं मस्त शब्दचित्र आलेख्युं छे, ते खूब प्रेरणात्मक तो छ ज, साथे एक मोटी ऊणपनी पूर्ति पण करी आपे तेवू बन्युं छे. आवा सत्कर्म बदल लेखक धन्यवादना अधिकारी बने छे.
चरित्रपुस्तकना पाछला भागमां श्रीवीरचंद गांधी द्वारा लिखित-प्रकाशित "रडवा-कूटवानी चाल विपेनो निबन्ध'' नामे लेख-पुस्तिकानो पण समावेश थयो छे. चरित्रमा विविध तस्वीरो होवाथी ते वधु समृद्ध बन्युं छे. तेमना हस्ताक्षरोनी छबी मुकाई होत तो विशेष समृद्ध थात. प्रत्येक जैन बन्धुए वांचवा-वसाववा योग्य ग्रन्थ.
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