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________________ मार्च २०१० १०५ 'महाव्रत' शब्द यद्यपि अथर्ववेद, शतपथब्राह्मण, महाभारत और पुराणों में है, तथापि सत्य, अहिंसा आदि जैन महाव्रतों के पारिभाषिक अर्थ में न होकर केवल great vow, great penance 372101 great ceremony 3f 37ef # 37141 ब्राह्मण ग्रन्थ तथा उपनिषदों में व्रतशब्द का अर्थ है - 'धार्मिक विधि', 'धर्मसम्बन्धी प्रतिज्ञा' अथवा 'अन्न-पान ग्रहण के नियम' । 'श्रौत', 'गृह्य' तथा 'धर्मसूत्र' में 'व्यक्ति का विशिष्ट वर्तनक्रम अथवा उपवास' इन दोनों अर्थ में व्रत शब्द पाया जाता है । ___'मनु' तथा 'याज्ञवल्कीय स्मृति' में 'प्रायश्चित्तों' को व्रत कहा है क्योंकि प्रायश्चित्तों में अनेकविध नियमों का पालन निश्चयपूर्वक किया जाता है । 'महाभारत' से ज्ञात होता है कि वहाँ व्रत, 'एक अंगीकृत धर्मकृत्य' अथवा 'अन्न तथा आचरण सम्बन्धी प्रतिज्ञा' है ।" 'पातंजलयोग' में अहिंसा, सत्य इ. व्रतों को प्रमुखता से 'यम' कहा है। उनके सार्वभौम और सम्पूर्ण आचरण के लिए 'महाव्रतम्' संज्ञा है। जैन परम्परा में भी अहिंसा, सत्य आदि पाचों को 'महाव्रत' कहा जाता है, तथापि एकवचनी निर्देश न होकर प्रत्येक को स्वतन्त्र रूप से महाव्रत कहा गया है।" पातंजलयोगसूत्र में जैन परम्परा के प्रभाव के कारण महाव्रत संज्ञा अन्तर्भूत करने की आशंका हम रख सकते हैं । क्योंकि पातंजलयोग से प्रभावित उत्तरकालीन ग्रन्थों में यम-नियम-आसन आदि शब्दावली रूढ हुई है । 'महाव्रत' शब्द का प्रयोग क्वचित् ही पाया जाता है। ब्राह्मण परम्परा में ईस्वी की २-३री शताब्दी से लेकर १०वी शताब्दी तक 'पुराण' ग्रन्थों की संख्या वृद्धिंगत होती चली । व्रतों की संख्या भी बढती गयी । प्रायः सभी पुराणों में विविध प्रकार के व्रत विपुल मात्रा में पाये जाते हैं। उसके अनन्तर व्रतकथा और कोशों की निर्मिति हुई (इ.स. की १५ से १९वी शताब्दी तक) । सब पुराणों में मिलकर लगभग २५,००० श्लोक व्रतसम्बन्धी है । व्रतों की संख्या लगभग १,००० है । ऋग्वेदकाल में धार्मिक अथवा पवित्र प्रतिज्ञा एवं आचरणसम्बन्धी निर्बन्ध इस अर्थ में व्रत शब्द का प्रयोग होता था । धीरे धीरे उसमें परिवर्तन ___Jain Education International 2010_03 For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520551
Book TitleAnusandhan 2010 03 SrNo 50 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2010
Total Pages270
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size11 MB
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