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________________ ३८ अनुसन्धान-५० भक्तामर स्तोत्र श्री मानतुङ्गसूरिजी रचित है । भक्तामर और कल्याण मन्दिर ये ऐसे विश्व प्रसिद्ध स्तोत्र हैं जो कि आज भी श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों में मान्य है । श्वेताम्बर परम्परा ४४ पद्यों का स्तोत्र मानती है जबकि दिगम्बर परम्परा ४८ पद्यों का । पादपूर्ति दो प्रकार से होती है। एक तो सम्पूर्ण पद्यों के प्रत्येक चरण का आधार मानते हुए रचना करना और दूसरा पद्य के अन्तिम चरण को ग्रहण कर और भाव को सुरक्षित रखते हुए रचना करना । इस स्तोत्र के अनुकरण पर अनेक दिग्गज कवियों ने प्रचुर परिमाण में पादपूर्ति स्तोत्र और छाया स्तवन भी लिखें हैं जो निम्न हैं :१. नेमि भक्तामर स्तोत्र - भावप्रभसूरि २. ऋषभ भक्तामर स्तोत्र - समयसुन्दरोपाध्याय शान्ति भक्तामर स्तोत्र - लक्ष्मीविमल पार्श्व भक्तामर स्तोत्र - विनयलाभ वीर भक्तामर स्तोत्र - धर्मवर्धनोपाध्याय सरस्वती भक्तामर स्तोत्र - धर्मसिंहसूरि भक्तामर प्राणप्रिय काव्य - रत्नसिंह भक्तामर पाद पूर्ति - पं. हीरालाल भक्तामर पादपूर्ति स्तोत्र - महा० म० पं० गिरधर शर्मा (इसके प्रत्येक चरण की पादपूर्ति की गई है) १०. भक्तामर स्तोत्र छाया स्तवन - मल्लिषेण ११. भक्तामर स्तोत्र छाया स्तवन - रत्नमुनि इस कृति के कर्ता विवेकचन्द्र ने श्री मानतुङ्गसूरिजी के भावों को सुरक्षित रखते हुए और उसको प्रगति देते हुए यह पादपूर्ति की है । इस पादपूर्ति स्तोत्र को देखते हुए कहा जा सकता है कि ये संस्कृत साहित्य के धुरन्धर विद्वान् थे और समस्यापूर्ति में भी भाग लेते थे । यह कृति रमणीय और पठनीय होने से यहाँ प्रकट की जा रही है। इसकी एकमात्र प्रति ही प्राप्त है, वह किसी भण्डार में है, इसका ध्यान नहीं । अतएव इस सम्बन्ध में क्षमा चाहता हूँ। Miॐ ॐ ॐ ; Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520550
Book TitleAnusandhan 2009 12 SrNo 50
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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