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________________ डिसेम्बर-२००९ १५१ सिरीजना विविध ग्रन्थो जुदा जुदा मुनिवरो द्वारा प्रगट थया छे, थतां रहे छे. तेमां महदंशे मूळ सम्पादक-प्रकाशकादि गौण बने ते रीते प्रेरक साधुओ तथा दाता संस्थाओ वगेरेनां नामो, फोटा वगेरे भरवामां आवे छे, जे विवेक अने औचित्य विहोणुं ज लागे छे. प्रस्तुत प्रकाशन एवा अविवेकथी मुक्त छे ते नोंधपात्र बाबत गणाय. सुघड अने सुवाच्य मुद्रण. ६. नयर्विशिका : कर्ता तथा टीकाकार तेमज अनुवादक : आ. अभय शेखरसूरि, प्रका. दिव्यदर्शन ट्रस्ट, धोळका, सं. २०६५ श्रीहरिभद्राचार्यनी विंशति विंशिकाओ ए जैनोनो प्रसिद्ध शास्त्रग्रन्थ छे. ए ग्रन्थनु नाम 'विशिका' उपाडीने रचाती आ निबन्धात्मक रचना छे. कर्ताए पूर्वे निक्षेपविंशिका तथा सप्तभङ्गी विशिका पण रचेल छे. पोताना दीर्घ शास्त्रावगाहनना परिपाकरूपे पोते जे अनुप्रेक्षा करी, तेमां पोताने जे तर्कसङ्गत जणाती स्फुरणाओ थई, तेने कर्ताए आ विशिकाओरूपे रजू करेल छे. आ रचनाओ विद्वत्तापूर्ण निबन्धात्मक जरूर गणाशे. पण तेने 'शास्त्र'नो दरज्जो आपवो ते उतावळ गणाशे. पोतानी स्फुरणाओने विशद बनाववा माटे कर्ताए टीका उपरांत अनुवाद पण पोते ज रचेल छे, जे तेमनी चिन्तनधाराने समजवा माटे सहायक नीवडी शके छे. 'नय'ना अभ्यासीओने विचारोत्तेजक पुस्तक. ७. भारतीय तत्त्वज्ञान : (श्रीहरिभद्रसूरिकृत षड्दर्शनसमुच्चय परनी श्रीगुणरत्नसूरिकृत टीका 'तर्करहस्यदीपिका'नो गुर्जर अनुवाद). ले. डॉ. नगीनदास जे. शाह. प्रका. १०८ जैन तीर्थदर्शन भवन ट्रस्ट, पालीताणा, ई. २००९ ___ डॉ. महेन्द्रकुमार जैने करेल हिन्दी भावानुवाद ऊपर एकंदरे आधारित आ अनुवाद छे. प्रस्तावना अभ्यासपूर्ण अने विस्तृत छे, तो पण तेमांना अमुक हिस्साने बाद करतां हिन्दी प्रस्तावनाना अनुवादरूप ते जणाय छे. बन्ने अनुवादोनी तुलना अवश्य थई शके तेम छे. अनुवादग्रन्थना पृ. ४७२ पर सम्मतितर्कटीकानी २ गाथाओ उद्धृत छे, जे मूल-टीकाकारे ज टांकेली छे. आ गाथा हिन्दीमां अने तदनुसार ज गुर्जरानुवादमां आ प्रमाणे छे: मुख्यसंव्यवहारेण संवादिविशदं मतम् । ज्ञानमध्यक्षमन्यद्धि, परोक्षमिति सङ्ग्रहः ।। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520550
Book TitleAnusandhan 2009 12 SrNo 50
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages170
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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