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डिसेम्बर-२००९
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मध तणो निषेध, धोणि(णी) आठज, मासइं धोणी मोकली ए ॥३४॥ सगपणनइ समंध, विहवा मेलवा, च्यार सु(सू)झइ वरसना ए ॥३५।।
ढाल - ३ हवइं पालुं व्रत आठमुं अनरथडंड टालुं दुरध्यान पाप आदेसथी, खप करि(री)मन वालुं,
बारे व्रत मुझ मन वस्यां ॥१॥ चोर मारंतो नवी(वि)जोउं, सति(ती) चढति(ती)काठि, रमता भवाईआ नवी(वि) योउं, न जाउं सोकठां वाटइ
बारे व्रत मुझ मन वस्यां ।२।। सुडि (सूडी) पाली कटारडी, चूहलेतरूं अगनि, विणि दाखीण आपु नहिं, न थाउं परमादई मगन
बारे व्रत मुझ मन वस्यां ।।३।। नोमई सामायक व्रतइं, पडिकमणुं सोई, मासई दस पोहचाडवां, परमाद गमाई,
बारे व्रत मुज मन वस्यां ॥४॥ दसमई देसावगासी(सि)ई, चउद नि[य]म संभारूं, साझई संखइंपुं वली, मनथी न वी(वि)सारूं
बारे व्रत मुज मन वस्यां ॥५॥ अग्यारमइ पौषध व्रतई, वरसई पोसइ एक, रूडि परि आराधवो, मन धरि(री) वी(वि)वेक,
बारे व्रत मुज मन वस्यां ।।६।। अतित[थ] संविभाग व्रत बारमई, करूं साधनि(नी) भगतइ, साधवी श्रावक श्राविका, छतइ योगि संयुगत,
बारे व्रत मुज मन वस्यां ।।७।।
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