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________________ सप्टेम्बर २००९ ( २ ) श्रीविनयसागर कृत सिलोकानन्द कवित्व विनयसागरकृत दोहा : शीतलनीर समीर ससिच्छवि आज भओ सब मो दुःखदाई लागत अंग अंगार सिउं चंदन हो, विरहानल झाल जराइ कंत चले थइ आलिइ छई उपमा कविसागर अइसी बनाइ जाणत इह संसार मतु मनमत्थ, हुवे नई होरी लगाइ. (१) दोहा : शीतल नीर समीर, सहित लागत अंगि अंगाई । कंत चले थइ आलिइव जाणत इह संसार. (१) सोरठा : हो विरहानल झालि मो दुःखदाई सब भओ कंत चले थइ आलि, शीतलनीर समीर ससि. (१) दोहा : चंदन हौं विरहानलई लागत है अंगि झाल शीतलनीर समीर ससि, कंत चले तइ आलि (१) सोरठा : लागत अंग अंगार, चंदन हौं विरहानलाई जाणत इह संसार, कंत चले थइ आलिइअ ( १ ) दोहा : मनमथ होरी लगाइनई, उपमा इसी बनाइ शीतल नीर समीर ससि, कंत चलइ दुःखदाई. (१) सोरठा : जाणत इह संसार कंत चले थइ आलिइ. लागत अंगि अंगार, शीतल नीर समीर ससि. (१) दोहा : मो दुःखदाइ सब भओ, कंत चले थइ आलि शीतलनीर समीर ससि, हों विरहानल झालि. (१) सोरठा : कंत चले थइ आलि जाणत इह संसार मो दोहा : लागत अंगि अंगार चंदन हौं विरहानलइ. (१) लागत अंगि अंगार सिउं, चंदन हुं दुःखदाइ कंत चले थइ उपमा अइसी आलि बनाइ. ( १ ) सोरठा : अइसी आलि बनाइ, कंत बले थइ उपमा चंदन हाँ दुःखदाइ, विरहानल अंगारसिउं. (१) Jain Education International For Private & Personal Use Only ११७ www.jainelibrary.org
SR No.520549
Book TitleAnusandhan 2009 09 SrNo 49
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2009
Total Pages186
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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