SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 72
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ डिसेम्बर २००८ बनी छे. मध्यकालीन गुजराती साहित्यनी वात करीओ ओटले अनी साथे सम्बद्ध सेना शब्दकोशनी पण वात करवानी थाय ज. केमके मध्यकालीन शब्दनो अर्थ- सन्दर्भ जाण्या विना ते साहित्यनो अवबोध अपूर्ण रहे. उच्चार के पर्याय दृष्टिओ मध्यकालीन शब्दो आजे अपरिचित बन्या छे. ओक उदाहरण आपुं : 'विनोदचोत्रीसी' मां विरहिणी नायिका कहे छे "तेरे बिरह मूं देहं दही, जिउं वनि घूंघचीयांई, आधे जल भइ कोइला, आधे लोही - मांस. ' 91 ६३ हवे आ 'घूंघचीया' शब्दनो अर्थ न जाणुं त्यां सुधी अलंकारनुं सौन्दर्य वणप्रगट्युं रहे. पण 'घूंघचीया' ओटले 'चणोठी' ओवो अर्थ शब्दकोशमांथी प्राप्त थतां विरहिणीनुं भावचित्र स्पष्ट थयुं के 'तारा विरहमां वननी चणोठीनी जेम मारो अडधो देह बळीने कोलसो थयो छे ने अडधो लोही-मांस ज रह्यो छे. ' मारे मते अक बृहद् मध्यकालीन गुजराती शब्दकोशनी अनिवार्यता छे. जयन्त कोठारीओ आपणने 'मध्यकालीन गुजराती शब्दकोश' आप्यो. पण अनीये मर्यादा अमणे पोते स्वीकारी छे. अ संकलित शब्दकोश छे. भायाणी साहेबनुं ओमने अक सूचन अ हतुं के मध्यकाळनी कृतिओमांथी सीधा ज शब्दो लेवा. पण स्वास्थ्य - संजोगोने ध्यानमा राखीने ओमणे जे मध्यकालीन कृति - सम्पादनमा अर्थ सहितना शब्दकोश अपाया होय, अने ते पण स्थान - निर्देश साथेना, अटला ज शब्दकोशोने आधारे तैयार थयेलो आ शब्दकोश छे. जयन्तभाईओ क्षेत्रमर्यादा तो स्वीकारी, पण त्यांये संशोधननो अतिश्रम तो ओमणे कर्यो ज. मूळ सम्पादके आपेलो खोटो अर्थ छोडीने शुद्ध अर्थ आप्यो, मूळमां शब्द ज भ्रष्ट होय के खोटी रीते पाठ निर्धारित थयो होय तो तेनी पण शुद्धि करी. अने आ बधा माटे चोक्कस संज्ञाओ पण प्रयोजी. अमणे पोते निवेदनमां लख्युं के 'कोशनुं काम संकलन करतां वधारे तो संशोधननुं बनी गयुं.' आवो प्रमाणभूत शब्दकोश मळ्या पछीये काम तो बाकी रहे ज छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy