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________________ ६० अनुसन्धान ४६ थाय छे. आम बालावबोधकारोओ संस्कृत - प्राकृत ग्रन्थोना अनुवादोने दृष्टान्तकथाओथी पुष्ट कर्या छे अने ओ रीते ओ कथाकोश पण बन्या छे. जोके बधा बालावबोधोमां आवी दृष्टान्तकथाओ प्राप्य नथी होती. जेमके सोमसुन्दरसूरि पछी, संवत १५४३मां नन्नसूरिओ आपेलो 'उपदेशमाला बालावबोध' मूळ ग्रन्थनी प्राकृत गाथाओना केवळ अनुवादरूपे ज छे. अनुं सम्पादन रोमन लिपिमां डॉ. टी.ओन.दवेओ ई.स. १९३५मां प्रगट करेलुं छे. के.का. शास्त्रीजीओ ओमनी उत्तरवयमां बालावबोधोनां प्रकाशनो उपर खास भार मूक्यो छे. तेओ लखे छे : "मारी ओक विनंती छे के कोईपण संस्था, अ पछी जैन होय के जैनेतर, जेने गुजराती भाषा-साहित्यना प्रकाशननुं ध्येय छे तेणे बालावबोधोना प्रकाशननी अक योजना विचारवी जोईओ. " मध्यकाळनी सं. १५७२मां सहजसुन्दरे रचेली, अक अप्रगट दीर्घकृति 'गुणरत्नाकरछन्द' विशे मारी पीएच.डी. नी थिसिस तैयार करती वेळा 'छन्द' संज्ञावाळी कृतिओ अने अना स्वरूप प्रत्ये नजर करवानुं बन्युं. मध्यकाळमां क्वचित् अक्षरमेळ अने बहुधा मात्रामेळ छन्दो तो पद्यवार्ता, प्रबन्ध जेवां स्वरूपोमां प्रयोजाया छे अने रासा, आख्यान जेवां स्वरूपोमां, मूळमां मात्राछन्दोमांथी विकसित थयेली देशीओ अनुं वाहन बनी छे. आमांथी कोई कोई कृति मुख्यत्वे जे छन्दमां रचाई होय ते चोक्कस छन्दनामथी पण ओळखाई छे. जेमके 'मारु ढोला चोपइ' के 'माधवानल कामकन्दला दोग्धक. ' पण कृतिने मळेली 'छन्द' संज्ञा शानुं सूचन करे छे ? 'छन्द' सम्भवत: चारणी परम्परामांथी आवेलो प्रकार छे. चारणी साहित्यपरम्पराओ अक्षरमेळ- रूपमेळ छन्दो, मात्रामेळ छन्दो तेमज डिंगळ चर्चित छन्दो - ओम त्रण प्रकारना छन्दोनो उपयोग कर्यो छे; जेमां भुजंगप्रयात, पद्धरी, वृद्धनाराच, रोळा, लीलावती, मोतीदाम व. छन्दो उपयोगमां लेवाया छे. आ परम्परामां कृति पठन रूपे नहीं, पण श्रवणरूपे झीलवानी होई छन्दोगान ओक महत्त्वनुं माध्यम बने छे. कृतिना आ छन्दोगानने पुष्ट करवा माटे चारणी परम्परामां शब्दानुप्रास, अन्त्यानुप्रास, वर्णसगाई, झडझमक, संयुक्ताक्षरी उच्चारणो, रवानुकारी शब्दसंगीत - ओम नादवैभव पर विशेष ध्यान अपाय छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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