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अनुसन्धान ४६
(टि. 'म.गु.श.' मां शब्द नोंधायेल छे, पण अर्वा. गुज. अर्थ परत्वे
प्रश्नार्थ.) उरसउं = ?
[वघर्षः] (?) वेसरद् = ?
[विशरीरी] (?) अरतपरत बाप सरीखउ = आकृतिए प्रकृतिए बापना जेवो. ___ (सं. 'आरात् परात्' परथी) [आकृत्या प्रकृत्या पितासदृशः] अगेवाणु = आगेवान, आगळ रहेनार, मोखरा- (सं. 'अग्र' परथी) [अग्रेनीकः] पछेवाणु = पाछळ रहेनार, पाछळ रहेवू ते. [पश्चादनीकम्] वूसट = तमाचो
- [चपेटा] चूहुण्टी = ?
[चुञ्चपटिका] (?) कावडि = कावड (दे.)
[कायाटना, कायविलिनी] गरढउ = घरडो, वृद्ध (सं. जरठ)
[गतार्थवयः] वच्छीयात = आडतियो
[वस्तुवित्तः] नीक = पाणी जवानो मार्ग |
[नीराक्षा] (टि. 'नीक' संस्कृत छे. पण 'नीक'नो बीजो अर्थ 'हाथपग दुखवानो के खंजवाळनो रोग' पण थाय छे. (सं. नीरक्ता परथी.)
'म.गु.श.'मां 'उक्तिर०'नो आ शब्द बन्ने अर्थमां नोंधायेलो छे.) उसलसींधरं = ? [उल्लासितसन्धिकम् के उतशलंध्र] (?)
(टि. 'म.गु.श.'मां आ शब्द 'उक्तिर०' मांथी 'ऊसलसीधु' रूपे
नोंधायेलो छे. अर्वा. अर्थ अंगे प्रश्नार्थ.) वेगडि = सीधां खुल्लां मोटां शिंगडांवाळी गाय, उत्तम प्रकारनी गाय. (सं. 'विकट' परथी.)
[विकटशृङ्गी] मीढी = वांकां शिंगडांवाळी
[मिलितशृङ्गी] कुण्डली = कुंडाळु-गूचळु वळेला शिंगडांवाळी [कुण्डलितशृङ्गी] लिपसणउं = लपसणुं
[लिप्सायनम्] (टि. 'म.गु.श.'मां आ अर्थ अटकळे अपायो छे.)
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