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________________ अनुसन्धान ४६ (४) अभयशतक - आ कृति सुरत-जैनानन्द पुस्तकालयमां होवानी नोंध मळे छे. ते अभयकुमारना जीवन उपर छे के केम ते पण प्रश्न छे ? अप्रगट जणाय छे. गुर्जरकृतिओ :(१) कवि देपाल कृत श्रेणिक - अभयकुमाररास (र.सं. १५२६) (२) पद्मराज (?) अभयकुमार चरित्र चौपाई (र.सं. १६५०) (३) कवि ऋषभदास कृत अभयरास (र.सं. १६८७) (४) जिनहर्ष उपा. (खर.) कृत अभयरास (र.सं. १७५८) (५) कीर्तिसुन्दर कृत अभयकुमारादि पंचसाधु रास (र.सं. १७५९) (६) लक्ष्मीविनय (खर.) कृत अभयरास (र.सं. १७६१) 'अभयाभ्युदयमहाकाव्य' नामक प्रस्तुत कृतिने कर्ताए काव्य तरीके गणावी होई तेने स्वतन्त्र कृतिलेखे स्वीकारी शकाय. अभ्युदयाङ्ककाव्यो : अभ्युदय अटले उन्नति. शुं नायकना जीवनना अन्य प्रसंगोथी लई छेक तेनी सामाजिक के आत्मिक उन्नतिनी नोंध दर्शावती कृति माटे आ शब्द प्रयोजायो हशे ? के पछी कोई अन्य कारणथी आ शब्द प्रयोजायो छे ते विचारवं जोईओ. प्रस्तुत काव्यमां पण अभयकुमारना शैशवथी प्रारंभीने '०मध्यास्त मध्यमविमानमनुत्तरेषु' पदथी कवि तेमनी आत्मिक उन्नति दर्शावीने कृति पूर्ण करी छे. अहीं प्रसंगगत केटलांक अभ्युदयाङ्क काव्योनी ढूंक नोंध मूकीओ छीओ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520546
Book TitleAnusandhan 2008 12 SrNo 46
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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