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________________ सप्टेम्बर २००८ १३ उपाश्रयो पण सुरत, राधनपुर, अमदावाद, पाटण वगेरे स्थळोओ बनाव्या. क्षेमवर्द्धन गणीना शब्दोमा 'जीहो वेलिया विही प्रभावना लाल, अग्यार लाख द्रव्य थाय जीहो सागरगच्छमां आपीया लाल, गुणीजन कीरत गाय. (ढा. ४, कडी १४) वळी रामविजय-शान्तिजिनरासमां संवत सोल ल्यासीया(छ्यासीया) वर्षे, आचारज पद थापीया रे, श्रीराजसागरसूरि नाम जयंकर, सागरगच्छ दीपाया रे... ३३ साह शिरोमणि सहसकिरणसुत, शान्तिदास सुजांण रे, जस उपदेशे बहु धन खरच्यु, लख ईग्यार प्रमाण रे... ३४ (प्रशस्ति) आ रीते आ बाबतनो उल्लेख करे छे. सागरगच्छनी स्थापना अने मुक्तिसागरगणिनी पदवीमां पण शेठनो खूब मोटो फाळो हतो. शान्तिदास शेठनो रास अने जैन परं. इतिहास - चिन्तामणिमन्त्रनी साधना, बादशाहनी मुलाकात, राज्यमान, उपाध्याय पद, आचार्यपदप्रदान, जिनालय प्रतिष्ठा, सागरगच्छ स्थापना वगेरे बाबतोमा मतान्तर दर्शावे छे जेनो निर्णय विद्वानो ज करी शके. शेठना स्वजन सम्बन्धी विगत आपतां प्रशस्तिकार ४ पत्नी-विशदा, कपूरा, फूला, वाछीना अनुक्रमे ४ पुत्रो पनजी-रतनजी-कपूरचन्द्र-लक्ष्मीचन्द्र नाम आपे छे. जैन परं. इति. भा.४ - पृ. १३९ पर तेमना पुत्रना नाम जणावतां नीचेनी विगत नोंधी छे : (१) प्रशस्तिकार (?शेनी प्रशस्ति हशे ? के प्रस्तुत प्रशस्ति ज?) ४ पुत्र जणावे छे ते मनजी, रतनजी, कपूरचंद, लक्ष्मीचंद. (२) शीलविजयजी रासमां-रतनजी, लक्ष्मीचंद, माणेकचंद, हेमचंद एम ४ पुत्रो. (३) क्षेमवर्द्धनगणी रासमां मनजी, रतनजी, लक्ष्मीचंद, माणेकचंद, हेमचंद एम ५ पुत्रो. (४) कृष्णसागर गणी रतनजी, लक्ष्मीचंद, माणेकचंद, हेमचंद अम ४ पुत्रो. (a) नगरशेठना घरमां रहेल हस्तप्रतनी पुष्पिकामां धनजी-रतनजीलक्ष्मीचंद-माणेकचंद-हेमजी एम ५ पुत्रोना नाम जणावे छे. (६) ज्यारे 'गुजरातनुं पाटनगर' पुस्तकमां पनजी, रतनजी, कपूरचंद, लक्ष्मीचंद, माणेकचंद, हेमचंद ओम ६ पुत्रोनां नाम लख्यां छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520545
Book TitleAnusandhan 2008 09 SrNo 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages114
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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