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अनुसन्धान ४५
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पच्छेइ
२९. १० त....पढिमं
तरेज्जा पडिम ३१. ८
जंपिसि लोया जंपि सिलोया ३२. ८
०दलंगु.... मु ०दलं गुणान् किमु ३४. ६ विहरइ
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पत्थेइ आ अंकनी बीजी दीर्घ रचना 'शतपञ्चाशिकासंग्रहणी' तीर्थंकरादि शलाकापुरुषो तथा विशिष्ट पुरुषोनी जीवनविगतोनी संग्रहात्मक रचना छे. आवी विगतोने याद राखवा माटे पद्यबद्ध रचना सुगम पडे छे. तेथी 'संग्रहणी' नामे एक रचनाप्रकार प्राचीनकाळथी प्रचलित छे. कृति शुद्ध छे.
'चातुर्याम संवर'ना सम्बन्धमा समीक्षात्मक, गम्भीर विचारणा रजू करतो डॉ. पद्मनाभ जैनीनो लेख, लेखकना प्राचीन भारतीय साहित्यना तलस्पर्शी अभ्यासनो परिचायक छे. प्राचीन जैन-बौद्ध-वैदिक साहित्यमा यत्रतत्र नोधायेली विगतोनी तुलना अने तात्पर्य, उद्घाटन करवू ए संशोधनक्षेत्रे प्रखर स्मृति, प्रखर प्रामाणिकता, विशाल अध्ययन मांगी लेतुं कार्य छे. प्रस्तुत लेख ए दृष्टिले नमूनारूप छे. अनुवाद प्रांजल छे.
- जैन देरासर,
नानी खाखर-३७०४३५, गुजरात आवरणचित्र-परिचय कर्नल जेम्स टॉडना नामथी भाग्ये ज कोई संशोधनप्रेमी अजाण हशे. 'टॉड राजस्थान' ए तेमनो विख्यात ग्रन्थ छे. ते उपर आधारित, James Tod's Rajasthan नामे एक विशेष ग्रन्थ के अंक, Marg Publications, Mumbai (2007, Vol. 59/1) प्रकट थयो छे. तेमां प्रकाशित आ (आवरण) चित्रनो परिचय आ प्रमाणे छे :
चित्र १. एक हाथी उपर कर्नल टॉड अने तेमनो रसालो छ, अने सामेना हाथी उपर तेना गुरु जैन यति ज्ञानचन्द्र छे.
चित्र २. कर्नल टॉड यति ज्ञानचन्द्र पासे अध्ययन करे छे.
Marg Publications ना सौजन्यथी आ चित्रो अत्रे प्रकट करेल छे. चित्रोनो समय ई. १८२२नो छे.
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