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पाली (बौद्ध) आगमोमां चातुयाम - संवर
अनुसन्धान ४४
डॉ. हर्मन जेकोबीए पोताना एक महत्त्वपूर्ण शोधलेख ' Mahavira and His Predecessors' (Indian Antiquary 1880) ने प्रकाशित कर्ये १०० उपरांत वर्षो वीती गयां छे, छतां, सामञ्ञफलसुत्त ( दीघनिकायगत) मां निग्गंथ नातपुत्त अने तेमना पर (बौद्धो द्वारा) आरोपित चातुयाम - संवरना बौद्धग्रन्थीय सन्दर्भो उपरनां डॉ. जेकोबीनां निरीक्षणो, आजपर्यन्त महावीरना ऐतिहासिक प्रामाण्य अने चातुयाम संवरना उपदेशनी प्राचीनताने पुरवार करवामां पायानी गरज सारे छे.
- पद्मनाभ एस. जैनी
कोबी जैन आगमाना पोताना अनुवाद The Jain Sutras, Part 1 and 2 नी प्रस्तावनामां पोतानी केटलीक दलीलोनुं पुनरावर्तन करे छे. अहीं, तेओ उत्तराध्ययन सूत्रना केशि - गौतमीयअध्ययन (२३) मांथी एक नवुं - वधारानुं प्रमाण आपे छे. तेओ कहे छे के पाली - भाषीय शास्त्रो द्वारा निग्रन्थ ज्ञातपुत्र पर करायेलो चातुयाम-संवर (जैनागमोमां चाउज्जाम- धम्म) नो आरोप भ्रान्तिमूलक छे अने निर्गन्थोनो सिद्धान्त तो बुद्ध अने महावीर करतां पण प्राचीन छे. उत्तराध्ययननी साक्षी प्रमाणे तो तेनो उपदेश २३मा जिन पार्श्वनाथे करेलो छे.
हवे, सामञ्ञफलसुत्तमां चातुयाम संवरना चार यामो कया छे तेनो कोई निर्देश नथी. उत्तराध्ययनसूत्रमां कह्युं के पार्श्वनाथे चार महाव्रतो उपदेश्यां अने महावीरे पांच, पण ते व्रतो कयां, तेनो कोई उल्लेख नथी.
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जेकोबी पछी, आज सुधी, चातुयाम संवर विशे ने उत्तरगामी संशोधनो थयां, ते बधां ज उपरोक्त बौद्ध अने जैन आगमगत प्रमाणोनो ज विस्तार छे. पांच महाव्रतो तो, स्थानाङ्ग सूत्र अने बीजा सूत्रोथी प्रमाणित ज छे, अने ते व्रतोनुं वर्णन पण, प्रत्येकनी पांच पांच भावनाओ साथे, विस्तारथी ते ते शास्त्रोमां करवामां आव्युं छे. व्रतो आ प्रमाणे छे : १. हिंसाथी विरमवु, २. असत्य बोलवाथी विरमवुं, ३.चौर्यथी विरमवुं, ४. अब्रह्मचर्यथी विरमवुं, अने ५. वस्तुओनी मूर्च्छाथी विरमवुं.
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