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________________ जून २००८ वासुदेव चउथी नरक गयओ. कृष्ण वली त्रीजी नरक गयओ. ॥१३२॥ ६४ - बलदेवगति अतकडा रामा एगो पुण बंभलोगकप्पंमि । उववन्नो तत्थ भोए भुत्तं अयरोपमा दसओ ॥ १३३॥ ६४-बलदेव मरीनइ किहां गया ते कहुं. आठ बलभद्र मुक्ति पोहता. एक नवमो वली ब्रह्मलोकइ पोहतओ ऊपनो. तिहां भोग नइ भोगवीनइ सागर दशनो आऊषओ. ॥१३३॥ तत्तो य चइत्ताणं इहेव ओसप्पिणीइ भरहंमि । भवसिद्धिओ य भगवं सिज्झिस्सइ किण्हतित्थंमि ॥१३४॥ तिहांथी छांडीनइ एहज अवसप्पिणी भरतक्षेत्रनइ विषइ मुक्ति पामवा योग्य भगवंत सीझिस्यइ बलभद्र. ॥१३४॥ अनियाणकडा रामा सव्वे वि य केसवा नियाणकडा । उगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी ॥ १३५ ॥ नियाणाना अकरणहार बलदेव सगलाई, सगलाई वासुदेव नियाणा कीधा. ऊंचीगतना जाणहार सगलाई बलदेव, वासुदेव सगलाई अधोगामी जाणिवा ॥ १३५ ॥ ६५ - चक्री जे वारिं हूया ते कहूं - ९५ उस भरहो १ अजिय सगरो २ मघवं सणकुमारो य ४ । धम्मस्स य संतिस्स य जिणंतरे चक्कवट्टिदुगं ॥ १३६॥ ६५. चक्रवर्ति जेहनइ वारइ हूया ते कहइ छइ. ऋषभनइ वारइ भरतचक्रवर्ति. अजितनइ वारनइ सगर. मघवा चक्रवर्ति सनत्कुमार ए बे धर्मनाथ शांतिनाथ जिणनइ आंतरइ बे चक्रवर्ति हूया. ॥१३६॥ संती कुंथु अरो अरहंता चेव चक्कवट्टी य । अर-मल्लिअंतरे हवइ सुभूमो कौरवो (व्वो) ॥१३७॥ शांतिनाथ कुंथुनाथ अरनाथ तीर्थंकर निश्चइ हूया, अनइ चक्रवर्तिपणि हूया. अरनाथ अनइ मल्लिनइ अंतरइ वली होइ सुभूम आठमो चक्री कौरव ॥१३७|| Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520544
Book TitleAnusandhan 2008 06 SrNo 44
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2008
Total Pages126
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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