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________________ अनुसन्धान ३९ नारदादि २०नुं तेमज पार्श्वनाथना तीर्थमां १५ अने महावीरजिनना तीर्थमां १० प्रत्येकबुद्धोनुं के जेमणे ४५ ऋषिभाषित अध्ययनोनुं प्रतिपादन-कथन करेलु तेनुं, २२मां दमदन्तमुनि, कुब्जवारक (बलदेवपुत्र) मुनि, पांच पाण्डव तथा केशीकुमारनुं, २३मां कालिक तथा मेखलि स्थविर तथा आनन्दरक्षितनुं तेमज पार्खापत्य काश्यप मुनिनु, २४मां एक राजर्षिनु, जे दीक्षा लई मरण पामी सर्वार्थसिद्ध विमाने गया छे तेनु, स्मरण कयुं छे. ___गा. २५-२६मां वीरजिनना इन्द्रभूति आदि ११ गणधरोनुं, २७मां वीरजिनना पूर्व पिता-माता ऋषभदत्त-देवानन्दानु, २८मां ४ प्रत्येकबुद्धोनुं तथा प्रसन्नचन्द्र ऋषिमुं, २९मां वल्कलचीरी, अइमुत्त, क्षुल्लककुमार, अर्जुनमाली, लोहार्य तथा दृढप्रहारीनु, ३०मां कूरगडु तथा ४ तपस्वी साधुओनुं अने गौतमस्वामीना सोबती १५०० तापस साधुओ, ३१मां शिवराजर्षि, दशार्णभद्र, नन्दिषेण, मेतार्य, इलापुत्र, चिलातीपुत्रनु, ३२मां मृगापुत्र, बहुपिण्डिक एवा इन्द्रनाग केवली, धर्मरुचि, तेतलिपुत्र तथा सुबुद्धिमुं, ३३मां सुबुद्धिना वचने बोध पामेल जितशत्रु, तथा प्रतिमाना दर्शनथी बोध पामेल आर्द्रकुमारनु, ३४मां पेढालपुत्र, सुदर्शन, गांगेय, जिनपालित, धर्मरुचिर्नु, ३५मां जिनदेव, कपिल, इषुकारराजा वगेरे ६ साधको (इसुयारिज्जं, उत्तरज्झयणे), संजयराजर्षि, क्षत्रियमुनि, हरिकेशी मुनि, ३६मां शीलकसूरि तथा तेमना केवलज्ञानी भाणेजो, सुबाहुकुमार अने ९ मुनिवरो, ३७मां रोह, पिंगल, स्कन्धक, तिष्य, कुरुदत्त, अभयकुमार अने मेघकुमार, ३८मां हल्ल-विहल्ल, सर्वानुभूति-सुनक्षत्र, सिंह अणगार तथा धन्य-शालिभद्रनु, ३९मां अन्तिम राजर्षि उदायन के जेने वीतभय पत्तनमां वीरजिने स्वयं दीक्षा आपेली तेनु, ४०मां जम्बूस्वामी, प्रभव, शय्यंभव, यशोभद्र, सम्भूतविजय तथा भद्रबाहुनु, ४१-४२मां भद्रबाहुना चार शिष्यो के जेमणे राजगृहीमां रात्रिना चार पहोरमां पोतानुं कार्य साधेलु : एके सिंहगुफामां रहीने, बीजाए दृष्टिविष सर्पना राफडे रहीने, जीजाए कूवाना थाळे ऊभा रहीने अने चोथाए कोशा-वेश्याना घेर रहीने (स्थूलभद्र), तेनु, ४३मां सम्प्रतिराजाना गुरु सुहस्ती तथा आर्य महागिरि अने पनवणासूत्रनिर्माता श्यामार्य तथा अवन्तीसुकुमालनु, ४४मां कालकाचार्य, आर्यसमुद्र, सिंहगिरि, धनगिरि, समित, वज्र, अर्हद्दत्त, ४५मां वज्रसेन, दुर्बलिका पुष्यमित्र, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520539
Book TitleAnusandhan 2007 04 SrNo 39
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2007
Total Pages106
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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