SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 9
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुसन्धान ३६ वीरजिनः द्वितीय, चिर-प्राचीन चैत्यमा चन्द्रप्रभजिन अने तृतीय, कुमारविहारमा पार्श्वजिन; आम त्रण चैत्यनी वात होवा- कल्पी शकाय खरं. कदाच, आ पाटणनी ज वात होय तो बनवाजोग छे. गा. ८९मां बंभेवि (ब्राह्मणवाडा ?), पल्लि (पाली ? के जीरापल्ली ?), नाणय (नाणा), देवाणंद (दीयाणा) - आ चार तीर्थगत वीरजिननां स्तूप चैत्योर्नु कीर्तन छे. गा. ९०मां मेवाडना 'नंदिसमसेस' नामना (?) कोई गाममां शकटालमन्त्रीए करावेल वीर-चैत्यनी नोंध हेरत पमाडनारी लागे छे. इतिहासमां आवी केटलीये वातो दटायेली पडी होय छे, जे आजे अज्ञातप्राय हशे. सुकोशलमुनि ए जैन इतिहास, प्रसिद्ध-विशिष्ट पात्र छे. तेमना जीवननी खास घटना चित्तोडना मुग्गिलगिरि(मुद्गलपर्वत ?) पर बनी हशे तेनो इशारो ९१मी गाथा आपी जाय छे. ९२-९६ गाथाओमां अर्बुदाचलनो महिमा व्यक्त थयो छे. गा. ९२मां विमलमन्त्रीना दश परिवारजनो गजारूढ होवानो उल्लेख इतिहासनी दृष्टिए विशिष्ट गणाय तेवो छे. गा. ९७मां आबूपर्वतना मूळ प्रदेशस्थित 'मुण्डस्थल'मां नन्दिवृक्षतळे श्रीवीरप्रभु पोताना छद्मस्थ-विहारकाळमां कायोत्सर्गध्याने रहेला ते पारम्परिक अनुश्रुतिनो; तथा गा. ९८ मां, ते स्थळे, पुन्यराज नामे गृहस्थे, प्रभुभक्तिथी प्रेराईने, वीरप्रभुनी प्रतिमा स्थापी हती, अने ते वर्ष वीरप्रभुना जन्मथी ३७मुं वर्ष हतुं, तेनो स्पष्ट उल्लेख कर्ता आपे छे. भगवान महावीरनी ३७ वर्षनी उंमरे तथा दीक्षा लीधाना सातमा वर्षे राजस्थानमा तेमनी प्रतिमा बन्यानो आ साहित्यिक उल्लेख, कर्ता समक्ष कोई प्राचीन सशक्त श्रुतिपरम्परा होवानो ख्याल आपी जाय छे. अने तेथीज, गा. ९९ मां कर्ता उमेरे छे के, आजे (कर्ताना समये) आ तीर्थने किञ्चित् न्यून एवा १८०० वर्ष थयां छे. आ उपरथी कर्तानो समय पण निश्चित थई शके : अत्यारे वीर संवत् २५३२ चाले छे. तेमां वीरप्रभुना आयुष्यनां ७२ वर्षो पैकी ३७ वर्ष छोडी देतां वधेला ३५ वर्ष उमेरवाथी २५६७ थाय. तेमांथी १८०० बाद करीए तो ७६७ रहे. तेमांथी पण 'किञ्चित् न्यून' एटले पांच-दस वर्ष ओछां करीए तो पण १३ मा शतकनो छेडो आरामथी आवी जाय. वधु स्पष्ट करीए तो, विक्रम संवत् पूर्वेना वीर निर्वाण संवतना ४७० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520536
Book TitleAnusandhan 2006 06 SrNo 36
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2006
Total Pages70
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy