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________________ माहिती (१) १. निशीथचूर्णि : आगमप्रभाकर मुनिश्री पुण्यविजयजीए तैयार करेल प्रेसकोपीना आधारे आ चूर्णिग्रन्थ- प्रकाशनलक्षी सम्पादन मुनि श्रीधुरन्धरविजयजी तथा दिव्यरत्नविजयजी करी रह्या छे. २. व्यवहारसूत्र : नियुक्ति भाष्य, तथा मलयगिरीया वृत्तिसमेत आ आगमग्रन्थ- श्रीपुण्यविजयजीनी सामग्रीना आलम्बने प्रकाशनलक्षी सम्पादन, आ. श्रीमुनिचन्द्रसूरिजी द्वारा थई रह्यं छे. ३. कुवलयमाला कथा : दाक्षिण्याङ्क श्रीउद्योतनसूरिकृत आ प्राकृतकथाग्रन्थ- संस्कृत छाया बनाववापूर्वक सम्पादन पं. श्री अजितशेखरविजयजी तथा मुनि विमलबोधिविजयजी करी रह्या छे. ४. इन्स्टिट्यूट ऑव जैनोलोजी (U.K.)तथा ब्रिटीश लायब्रेरीना संयुक्त आश्रये, ब्रिटनमांनी जैन हस्तप्रतोना वर्णनात्मक सूचिपत्रना त्रण ग्रन्थो, डॉ. नलिनी बलवीर अने अन्योए मळीने तैयार कर्या छे. तेनुं विमोचन ता. २७ मे, २००६ना रोज दिल्ली मां वडाप्रधान डॉ. मनमोहनसिंघना हस्ते योजायेल छे. _(२) नवां प्रकाशन : विधिमार्गप्रपा : कर्ता : जिनप्रभसूरि, सम्पादन अने हिन्दी अनुवाद : साध्वी सौम्यगुणाश्री, प्रका. श्रीमहावीरस्वामी जैन देरासर ट्रस्ट, मुम्बई. ई. २००५ १४मा शतकना प्रभावक जैनाचार्य श्रीजिनप्रभसूरिए रचेलो आ विशिष्ट विधिग्रन्थ, ई. १९४१ मां पुरातत्त्वाचार्य मुनि जिनविजयजी द्वारा सम्पादितप्रकाशित थयेलो, जे अत्यारे अलभ्यप्राय हतो; तेनुं आ सुघड अने सरस पुनः प्रकाशन छे. आमां सम्पादक साध्वीश्रीए आखा ग्रन्थनो हिन्दी अनुवाद तैयार करी मूक्यो छे, तेथी पाठको माटे घणी सुविधा थई गई छे. आ ग्रन्थमां साधुओनी सामाचारी, योगोद्वहनविधि, प्रायश्चित्त विधि वगेरे तेमज उपधान अने प्रतिष्ठा आदिना विधिओ, तपावली आदि आदि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520535
Book TitleAnusandhan 2006 02 SrNo 35
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2006
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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