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________________ 36 अनुसन्धान ३४ (१) इस कथाग्रन्थ का नाम भले 'भुवनसुन्दरी कथा' हो, किन्तु ग्रन्थ का अत्यधिक हिस्सा तो भुवनसुन्दरी के पिता वीरसेन को ही समर्पित है। वीरसेनचरित का प्रारम्भ होता है गाथाङ्क ८२२ (पृ. ७६) से; और अन्त होता है गाथाङ्क ७८९९ (पृ. ७२०) पर । अर्थात् ८९४४ गाथा-प्रमाण वाले ग्रन्थ की अन्दाजन ७००० से कुछ अधिक गाथाएं तो वीरसेन को ही नायक बनाये हुई हैं । वास्तव में यह कथा नायिकाप्रधान न होकर नायकप्रधान लगती है; अथवा होनी चाहिए । और तब इसका नाम होगा 'वीरसेणकहा' या 'वीरसेणचरियं' फिर भी कर्ता ने इसको नायिकाप्रधान रखकर 'भुवनसुन्दरीकथा' नाम क्यों दिया होगा ? प्रश्न होना स्वाभाविक है । लगता है कि ग्रन्थकार तिलकमञ्जरी, कादम्बरी, उदयसुन्दरी, कर्पूरमञ्जरी, लीलावती, विलासवतीजैसी नायिकाओं को प्राधान्य देकर रचे गये अद्भुत ग्रन्थों की परम्परा का अनुसरण करना चाहते हैं। यदि कादम्बरी का नाम 'चन्द्रापीडकथा' ऐसा होता तो विद्याविश्व उसके प्रति इतना अधिक आकर्षित होता ? शक्यता बहुत कम है । ऐसा ही अन्य कथा-काव्यों के बारे में भी कहा जा सकता है । ठीक उसी तरह, यदि इसका नामाभिधान 'वीरसेन-चरित' रखा गया होता, तो इतना प्रस्तुत न बनता, जितना 'भुवनसुन्दरी' नाम देने से बनता है। (२) अब देखें कुछ धार्मिक बातें : १. जिन-प्रतिमा की विलेपनपूजा के लिए चन्दन, कपूर इत्यादि उत्तम सुरभि-द्रव्यों को पानी में लसोट कर उपयोग में लिया जाता है । पूजा-समाप्ति के बाद तो द्रव शेष रह जाता है, उसका उपयोग कोई गृहस्थ अपने देह-परिभोग के वास्ते नहीं कर सकता है, यह सामान्य प्रचलित नियम है । इस ग्रन्थ में जरा जुदी बात मिलती है। कुमार हरिविक्रम और भुवनसुन्दरी का प्रथम मिलन जब चन्द्रप्रभु-जिनालय में हुआ, तब कन्या की सखी हाथ में चन्दनद्रव का कटोरा लाकर कुमार को कहती है कि "जिनपूजा करने के बाद शेष रहा हुआ यह समालभन (विलेपनद्रव्य) आप अपने अंग पर लगाएं बाह्यान्तर ताप Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520534
Book TitleAnusandhan 2005 11 SrNo 34
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages66
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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