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अनुक्रमणिका
श्री लक्ष्मीकल्लोलगणि रचिता
वर्द्धमानाक्षरा चतुर्विंशति-जिनस्तुतिः श्रीगुणविजयरचिता जातिविवृतिः ॥
म. विनयसागर 01
सं. विजयशीलचन्द्रसूरि 23
विजयशीलचन्द्रसूरि
35
'भुवनसुन्दरीकथा' की विशिष्ट बातों ___ का संक्षिप्त अवलोकन
तरङ्गवती कथा तथा पादलिप्तसूरिः
जैन के अजैन ?
विजयशीलचन्द्रसूरि
43
विशेषावश्यक भाष्यनुं शुद्धिपत्रक (३)
पत्रचर्चा षड्भाषाबद्ध चन्द्रप्रभस्तव के कर्ता
जिनप्रभसूरि हैं।
म. विनयसागर
55
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विहंगावलोकन-३३
उपा. भुवनचन्द्र
57
ट्रॅक नोंध : एक विलक्षण धातुप्रतिमा
शी.
60
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