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नवेम्बर
१२. द्वादशाक्षर छन्द का नाम है तामरस । इसका लक्षण है - III, ISI, ISI, Iऽऽ, नगण, जगण, जगण, यगण । इसके अन्य नाम ललितपदा और कमलविलासिणी प्राप्त होते है ।
१३. त्रयोदशाक्षर छन्द का नाम है - प्रहर्षिणी । इसका लक्षण है - ऽऽऽ, III, Iऽ1, ऽ।ऽ, ऽ, मगण, नगण, जगण, रगण और गुरु । इसका भिन्न नाम - मयूरपिच्छम् प्राप्त होता है ।
१४. चतुर्दशाक्षर छन्द का नाम है लक्ष्मी है । इस छन्द का नाम लक्षण
है
-
ऽऽऽ, 515, 551, गुरु | इसके अन्य नाम इस छन्द का प्रयोग भी १५. पञ्चदशाक्षर छन्द का नाम है। ऋषभ । लक्षण है 15, 151, 115, ॥5, Iऽऽ, सगण, जगण, सगण, सगण, यगण, इस क्वचित् ही होता है ।
छन्द का प्रयोग
१६. षोडशाक्षर छन्द का नाम है पञ्चचामर । लक्षण है
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551, 55, मगण, रगण, तगण, तगण, गुरु, चन्द्रशाला, बिम्बालक्ष्यम् प्राप्त होते है कम होता है ।
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151, 515,
151, 515, 151, 5, जगण, रगण, जगण, रगण, जगण, गुरु । १७. सप्तदशाक्षर छन्द का नाम है - हरिणी । लक्षण है- III, II, ऽऽऽ, 515, 115, 15, नगण, सगण, मगण, रगण, सगण, लघु, गुरु । इसके अन्य नाम वृषभचरित और वृषभललित ।
१८. अष्टदशाक्षर छन्द का नाम है
हरिणीपदम् । लक्षण है
III, ||S, ऽऽऽ, 551, 511, 515, नगण, सगण, मगण, तगण, भगण, रगण । इस छन्द का प्रयोग क्वचित् ही देखने में आता है १९. एकोनविंशत्यक्षर छन्द का नाम है - मेघविस्फूर्जिता । लक्षण है
Iऽऽ, ऽऽऽ, 11, 115, 51, 51, 5, यगण, मगण, नगण, सगण, रगण, रगण, गुरु, गुरु ।
२१. एकविंशत्यक्षर छन्द का नाम है - चन्दन प्रकृति । लक्षण है.
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S15,
S15, 551, III, III, III, 115, जगण, रगण, तगण, नगण, नगण, नगण, सगण । इस छन्द का भी क्वचित् ही प्रयोग होता है ।
२२. द्वाविंशत्यक्षर छन्द का नाम है - महास्त्रग्धरा । लक्षण है - IIS, SI,
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