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________________ 70 अनुसन्धान ३३ पश्चिमी भारत में पाणिनीय व्याकरण का विशेष प्रचार नहीं था । गुजरात में श्री हेमचन्द्रसूरि रचित सिद्धहेमशब्दानुशासन का और राजस्थान में प्राय: करके व्याकरण के प्रारम्भिक अध्ययन के रूप में सारस्वत व्याकरण का पठन-पाठन होता था । इसीलिए सारस्वत व्याकरण के मंगलाचरण पर ही सूरचन्द्र ने विचार-विमर्श किया है/ फक्किका लिखी है । प्रारम्भिक जिज्ञासुओं के लिए पठनीय होने के कारण ही प्रस्तुत की जा रही हैं । प्रान्त पुष्पिका में 'पण्डित सूरचन्द्रेण कृतं' और 'पं. चि. भाग्यसमुद्रवाचनार्थं' अंकित किया है । इससे स्पष्ट है कि यह लेखक द्वारा जालौर में स्वलिखित एक पत्रात्मक प्रति है और श्री लोंकागच्छीय श्री कनकविजयजी के संग्रह में यह प्रति प्राप्त थी । मार्च ५२ में प्रवास काल में मैंने इसकी प्रतिलिपि की थी । अन्यत्र इसकी प्रति प्राप्त नहीं है । प्रणम्यपद समाधानम् प्रणम्य परमाधीशं, सूरचन्द्रेण साधुना । प्रणम्य परमात्मानमित्यस्यार्थोऽत्र चिन्त्यते ॥ ननु भो विद्वन् । पूर्वं शास्त्रस्यादौ शास्त्रकाराः मङ्गलार्थं कञ्चिन्मङ्गलवाचकं शब्दं प्रतिजानाति इति सर्वशिष्टाचारः । अत्र ह्येतत्क्रममुत्क्रम्य श्रीमदाचार्यधुय्यैः, 'प्रणम्य' इति पदस्य शास्त्रस्यादौ वर्त्तमानत्वेपि 'प्र' इत्युपसर्गः पूर्वं कथं प्रतिज्ञात: ? । उपसर्गो हि न मङ्गलार्थो लोके रूढः, "उपसर्ग उपद्रवः" इति निघण्टुवचनात् । वैयाकरणेतरसूरयो हि शास्त्रादौ अमङ्गलशब्द विहाय मङ्गलशब्दमेव सर्वे निवेशयन्ति, तच्चात्र न दृश्यते तत्र को हेतु: ?, प्रोच्यते । नास्य नामकोषसम्बन्धिनी उपद्रवाभिधेयोपसर्गसंज्ञा, किन्तु 'उपसर्गाः क्रियायोगे' इति पारिभाषिकी प्रस्योपसर्गसंज्ञा । एवं चेत् लौकिकी पारिभाषिकी वा प्रस्योपसर्गसंज्ञा, एवं चेत् लौकिकी पारिभाषिकी वा प्रस्योपसर्गसंज्ञा श्रुतिकरुः सम्पनीपद्यते एव । नैवं प्रस्य महामङ्गलरूपत्वादिदं शास्त्रादौ मङ्गलमित्येव विवक्षितम् । यतः - “प्रशब्दश्चाथशब्दश्च" इति पुराणविचक्षणा आचक्षते । - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520533
Book TitleAnusandhan 2005 09 SrNo 33
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages102
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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