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अनुसन्धान ३२
जो सलोको एह जोडायो
उदयरत्न कहे पुण्योदय मे पायो ॥७८।। सं. १८७१ ना आसो सुदी ४ लखितं मुनि गुणरत्नेन ।।
शब्दकोश
जाग बारांक तेराक सुखमांलि उपें ओल कबांन वेंणे, वासंग
याग बार-तेर सुकोमळ ओपे-शोभे
पंक्ति
कमान वेणी (चोटलो), वासुकी
(नाग)
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मुंघ मुलांनी रदनें तांणा लेंहिरि वेंण वाहीने भडि आकुत कांमण्य भारथ तईहारि छालीमां नाहर गीर्याइ अमरख
मोंघा मूलनी दांत पर (तंबू) तांण्या लहेरो वीणा वगाडीने सुभट आकूत-अभिप्राय कामिनी महाभारत/युद्ध त्यारे छालियामां(?) जंतु विशेष (?) गिरिजाए अमर्प-रोप
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