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________________ 100 अनुसन्धान ३२ बलवंत जानी, श्री किरीट शुक्ल, डॉ. निरंजना वोराओ तेमनां मार्गदर्शनमां संशोधनमा सन्दर्भ सामग्रीनो निर्देश करे ओवा सूचिग्रन्थो प्रगट कर्या. गुजरातनी देशीओना गानना ढाळ भविष्यना अभ्यास माटे जाळवी शकाय ते माटे ध्वनिमुद्रणो कराव्यां अने भालणनी कादम्बरीओनी देशीओना ढाळ पोते गाया अने तेनुं ध्वनिमुद्रण कराव्यु. प्राचीन-मध्यकालीन गद्य-पद्य कृतिओनां आधुनिक वाचको-भावको माटेनां डॉ. भायाणीनां अनुवादो अने पुनःकथन प्रकारनी पालिभाषानी जातकथाओनी वार्तामा ढळेली कृतिओ पण अमनां संशोधन- ज अंग छे. ओ द्वारा अमनुं हेतु तो परम्परागत प्राचीन-मध्यकालीन साहित्य केटलुक उत्तम भाएं साम्प्रत प्रवाहमां रहे अने भविष्यना संशोधकोने आकर्षे, ओ ज रह्यो छे. आ प्रकारमा मर्मज्ञ पण्डितमां रहेली सर्जकता पण प्रगट थाय छे. आन्तर राष्ट्रीय कक्षाए प्रति बे वर्षे मळती भारतीय भाषाओ परना संशोधननी कोन्फरन्समां पण डॉ. भायाणी प्रेरणारूप अने प्रवृत्त हता. त्रीजी कोन्फरन्सथी ते आठमी कोन्फरन्सना संशोधन-पत्रोमां अनेक स्थळे डॉ. भायाणीनां मार्गदर्शनना सन्दर्भ मळे छे. ओमणे अमना अनुगामीओ अने विद्यार्थीरूप अभ्यासीओने पण आ प्रकारना आन्तरराष्ट्रीय परिसंवाद माटे प्रेर्या अने ओ निमित्ते गुजरातनी साहित्यपरम्परा परना संशोधन-पत्रोने विश्वकक्षाओ स्थान मळ्युं. डॉ. भायाणीनो मुख्य हेतु तो आ निमित्ते भारतनी सांस्कृतिक सम्पदाने शोधीने तेने लुप्त थती अटकाववानो हतो. अने ओ साडा पांच दायकाना अमनां संशोधन-सम्पादन द्वारा सिद्ध को. आ दिशामां अनेकने प्रेर्या, गतिशील राख्या अने देश-विदेशना भायाणीकुळना अभ्यासीमां सांस्कृतिक सम्पदानी शोधनां मूळ नंखाया अने ओना मूल्यने साम्प्रतमां स्थापवानी मथामण जन्मी. आम समयफलक, विषयविस्तार अने विद्योपासनाना सातत्य-संवर्धनने दृष्टिमां राखीओ तो सहेजे कही शकाशेः ____ डॉ. भायाणी अटले गत सदीना मूर्धन्य संशोधक. हेमचन्द्राचार्य अने यशोविजयजी जेवी ज उज्ज्वळ गुजराती पाण्डित्यनी परम्पराः मेजर इन्टरनेशनल स्कोलर ओफ इन्डोलोजी ! ३, शीतल प्लाझा, लाड सोसायटी पासे, वस्त्रापुर-बोडकदेव, अमदावाद-३८००५४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520532
Book TitleAnusandhan 2005 06 SrNo 32
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages118
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size6 MB
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