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________________ फेब्रुआरी-2005 25 डुंगर पर सुविधिनाथ छे तो नीचे-गाममां शान्तिनाथ होवानी नोंध छे (१८०). त्यांथी डाठा (दाठा) अने मउआ (महुवा), त्यां क्रमशः शान्तिनाथ अने महावीरस्वामीनां चैत्यो छे (१८१). त्यांथी डुंगर, बारपटोला, टीबी थई ऊना पहोंचे छे - संघ. ऊनामां पांच देरासर ने बे भोयरां होवानुं वर्णन छे (१८३). ऊनाथी आगळ जतां वाटमां हीरसूरिने वांद्यानो उल्लेख छ (१८४) ते शाहबागना समाधिमन्दिर परत्वे छे. ते पछी चिन्तामण तथा अमीझरा ने वन्दनानो उल्लेख ते क्रमशः देलवाडा तेमज अजारा परत्वे लागे छे (१८५). घोसला ते आजनुं घोघला ज होवू जोईए; ते काळे त्यां समुद्र होई नौका द्वारा त्यांथी दीवबंदरे संघ गयो हशे (१८५). दीवमा ३ देरां जुहार्यां (१८६). २६. त्यांथी सिमास, कोडिनाल (कोडीनार), सुतरा थई प्रभासपाटण संघ गयो. त्यां नव देरां होवानो उल्लेख ऐतिहासिक छे (१८७). घणुं करीने ते नव देरां मेळवीने ज आजनो नव गर्भगृहवाळो महाप्रसाद बन्यो लागे छे. २७. त्यांथी वेरावल : अहीं ५ देरां होवानो उल्लेख (१८९-९०) महत्त्वपूर्ण छे. त्यांथी चोरवाड, त्यां पार्श्वनाथ; त्यांथी मांगरोल, त्यां ३ चैत्य : मुनिसुव्रत प्रभु, पार्श्वनाथ तथा चन्द्रप्रभस्वामीनां छे ( १९२-९३). २८. त्यांथी महाशुदि १ना केसाद (केशोद), त्यांथी वंथली अने त्यांथी गिरनार पहोंचे छे. त्यां महावीरजिनचैत्य हतुं. (१९४-९६) आ देरुं तळेटीए हशे ? २८. ढाल १०मां केटलांक संशय-स्थानो रहे छे : क. २०० मां 'देव दीये उदी करीने' एनो मर्म शो होय ? 'देव दीये उडी करीने' एम हशे के 'देव दीये उ दीकरीने' एवं हशे ? स्पष्टता नथी थती. घटना तो रत्न श्रेष्ठीने देवे 'पार्छ वळीने न जोवा'नी शरते पुराणुं बिम्ब आपेलुं ते ज वर्णवाई जणाय छे. २९. दशमी ढाळमां गिरनारनुं विगते वर्णन थयुं छे. तेमां सहसावन (सहस्राम्रवन)नुं वर्णन उल्लासप्रेरक थयुं छे (२०४-७). ३०. बीजी अम्बादेवीनी ढूंकना प्रसंगे अम्बिकादेवीनो वृत्तान्त वर्णवायो छे (२०८२१५), तेमां कूवे पडती अम्बिकाना विलापनी कडीओ (२१४-१५) हृदयवेधी छे. ३१. सहेसावनमां नेमिनाथनां चरणपगलांने संघ पूजे छे (२१६). ३२. पांचमी ट्रंक पर दत्त गणधरनां पगलां होवानो उल्लेख ऐतिहासिक गणाय तेवो छे (२१९). गजवर-पगलां ते गजपद कुण्डनो संकेत जणाय छे. (२१९). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520531
Book TitleAnusandhan 2005 02 SrNo 31
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2005
Total Pages74
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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