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अनुसंधान-२९ कोष्ठक समाप्त करके उसका निश्चित व्याकरण देते हैं। पहले शब्द के अर्थ अलग अलग करके अवतरण सहित देते हैं । अवतरण में भाषाक्रम (linguistic order) और कालक्रम (Chronology) ध्यान में रखते हैं। एक उदाहरण प्रस्तुत करती हूँ।
[37459f (aņu-satthi < anu-śāsti (śiști) f. 1. instruction, religious teaching, preaching, Amg. तिविहा अणुसट्ठी पण्णत्ता etc. Thāna. 3. 314 (194); etc. (अर्धमागधी के क्रमानुसारी अवतरण) JM. आहरणं तद्देसे चउहा अणुसट्ठि तह उवालंभो Dasave Ni. 73; (जैन माहाराष्ट्री के क्रमानुसार अवतरण) Apa. अणुसट्ठि जहट्ठिय विहिय ताहं Vilaka. 11.35.9; 2. praise, JM. अणुसट्ठि थुइत्ति एगट्ठा NisBhā. 6608; 3. permission, order, JM. इच्छामो अणुसढेि पव्वज्जं देय मे भयवं Sursuca. 6. 207; पुण वि पह सिंहासणमारुहिउं ताण देइ अणुसट्टि Kumā Pra. 214.8.] (6) कोश में प्रयुक्त संक्षेप (abbreviations) :
कोश में मुख्यत: तीन प्रकारों के संक्षेप प्रयुक्त किये हैं । पहले तो व्याकरण के (grammatical) संक्षेप हैं, जैसे कि - f.-feminine, m.-masculine, n.-neuter, adj. - adjective etc. उसके बाद विविध प्राकृत भाषाओं के नामों के संक्षेप बनाये हैं, जैसे कि- Amg. - Ardhamāgadhi, Apa.Apabhramsa etc. अनन्तर ग्रंथों के नामों के भी संक्षेप बनाये हैं, जैसे किAyar.-Acāranga, Utt.-Uttaradhyayana, SatAg.-Satkhandagama etc. (7) शब्दों का चयन (Selection of Worlds) :
प्रायः शब्द एकपद शब्द हैं। दो पदों से युक्त समास (Compounds) भी दिये हैं। अगर अर्थ की दृष्टिसे महत्त्वपूर्ण हो तो क्वचित् तीन पदोंसे युक्त समास भी दिए हैं । जैसे 'अणेग' शब्द के बाद अणेगकरण, अणेगक्खरिय, अणेगगणणायग, अणेगचित्त इत्यादि समास भी दिये हैं। क्रिया या धातुओं से बने हुए कृदन्त रूप और विविध तद्धित रूप भी दिये हैं। उदा. अणुचर-क्रियापद के बाद अणुचरंत, अणुचरमाण, अणुचरिउं, अणुचरिता, अणुचरिदव्व, अणुचरियइस प्रकार के रूप भी अर्थ और व्याकरण सहित दिये है। विशेषनाम दिये हैं लेकिन उनसे जुड़ी हुई कथाएँ वगैरे नहीं हैं।
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