SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ August-2004 जातक अने ३, अवदानमां मळे छे. १. पिटक : धर्मतत्त्वने सरळ अने सर्वगम्य बनाववा माटे बौद्ध धर्ममां लोकभाषामां कथाओ कहेवाइ अने लिखितरूपमां पालि भाषामां संग्रहनुं रूप पामी. आ धर्मना सारिपुत्त मोग्गल्लान, महाप्रजापति, उपालि, जीवक वगेरेनी कथा पिटकमां मळे छे. भगवान बुद्ध धर्मसिद्धांत समजावी उपदेश आप्यो, तेनी कथा विनय पिटकमां छे. जातक अने पिटकनी कथाओ वच्चेनो महत्त्वनो भेद ए छे के आ बन्नेमां आवती कथाओ बुद्ध द्वारा कहेवाती दर्शाववामां आवी छे, परंतु जातकनी बधी ज कथाओने बुद्धना पूर्वभव साथे सांकळवामां आवी, एवं पिटकमां नथी. आम छतां पिटकनी कथाओ बुद्धना जीवन पर प्रकाश पाडे छे. केटलीक कथाओ संवादमां रजू थई छे. छन, अस्सलायन, दीघनिकाय, मज्झिमनिकाय वगेरे कथाओ तो हकीकतमूलक छे. अंगुलिमाल, रथ्थपाल, मखादेव वगेरे पात्र ने तेमनी कथाओ पिटकमां छे. विमानवत्थु अने पेतवत्थुनी कथाओ सद्कर्मोनां परिणाम दर्शावी कर्मना सिद्धांतने पुष्ट करे छे. केटलांक पात्रो अने घटनाओ कल्पित होवा छता एमां वास्तविक जीवननी भूमिका जोवा मळे छे. संसारना मोहमांथी मुक्त बनी वैराग्य पामतां पात्रोनी कथाओ पण अहीं छे. प्रख्यात विद्वान विंटरनित्झ नोंधे छे के वार्ताना माध्यमे धर्मनो उपदेश देवानु पूर्वे पहेलां जाण्यु. पश्चिम पछी ए मार्गे गडे. ____धम्मपद अने जातकनी जेम पेतवथ्थु अने विमानवत्थुनी टीकाओ गद्यमां छे. कथाना दृष्टांतथी सिद्धांतनुं स्पष्टीकरण करवामां आवे छे. अहीं दंतकथा Legend पण छे. बौद्ध धर्मनो प्रचार सिलोन अने बीजा विदेशोमां थयो ते साथे भारतनी कथाओ चीन-जापानमां पण पहोंची. विनयपिटक अने सुत्तपिटकमां बुद्धना जीवननी वास्तविक तथा कल्पनामूलक कथाओ छे तेमांथी सुत्तपिटकनी निदाघकथा घडाइ. २. जातक : बुद्धना पूर्वभव साथे संकळायेली कथाओ जातकमां संपादित थई छे. कथाओना वक्ता भगवान बुद्ध पोते छे. अहीं संस्कृति अने समाजना सारभूत तत्त्व जेवी अनेक भारतीय लोककथाओ जातकमां छे. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520529
Book TitleAnusandhan 2004 08 SrNo 29
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy