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________________ चर्चा . 'बुद्धिप्रकाश' मार्च २००४मां 'गुजरातना इतिहास लेखनमां रही जता मुद्दाओ' लेखमां श्री नरोत्तम पलाण लखे छे : ___"आचार्य हेमचन्द्रे ढोलामारुना जे अपभ्रंश दुहा उद्धृत करेला छे, ते जूनागढना राजकवि लुणपाल मेहडुरचित छे. कदाच आचार्यश्री आ जाणता पण हशे, परंतु अणहिलपुर पाटणना वर्णनमां जेम एना स्थापक विशे आचार्यश्री मौन छे, तेम आ दुहा रचनारनुं नाम लेता नथी ! रसिकलाल छो. परीख, आ विशेर्नु अनुमान मने योग्य लागे छे. शा माटे पाटणना वर्णनमां चावडानो उल्लेख नथी ? तो कहे छे के कदाच सिद्धराज जयसिंह जेवाने शत्रुनुं नाम लेवू न रुचे माटे. आ ज गणतरी जूनागढना कवितुं नाम न लेवा पाछळ पण जणाय छे." (पृ. ३३,३४) ___आ विधानो अंगे चर्चा करवी जरूरी छे. कलिकालसर्वज्ञ श्री हेमचन्द्राचार्य, सिद्धराजने खुश करवा के राखवा प्रतिस्पर्धी राज्यना कविनी रचनानो उपयोग करवा छतां नामोल्लेख न कर्यो, एवं तारण, मारी दृष्टिले पूर्वधारणा अने गृहीत परथी करेलुं निगमन छे अने हेमचन्द्राचार्य पण कोई राज्याश्रित पंडित होय अने आश्रयदाताना राजीपा माटे प्रवृत्त होय एवं ठसाववा मथे छे. गुजरातना उत्तमोत्तम भारतीय क्षेत्रना पण्डित माटे आवो तर्काश्रय अने आरोप निराधार छे. पहेलुं तो ए के ढोलामारुनो जे दूहो बन्ने स्रोतमा छे ते जूनागढना राजकवि लुणपाल मेहडुनो ज छे ? लुणपाल महेडु समकालीन छे ए निःशंक छे ? होय तो आ दूहो एमनो मौलिक ज छे के परंपरागत छ ? महेडुनी कृतिनी हस्तप्रत क्यारनी? केटली जूनी ने श्रद्धेय ? दुश्मन राज्यना समकालीन चारणी कविनी हस्तप्रत पाटण पहोंची ? क्यारे ? कई रीते? कया संजोगमां? आजनी जेम जे कोई लखे ने जेवू कोई लखे ते छपाई जाय अने बधे पहोंची जाय ए परिस्थिति मध्यकाळमां न हती. बहु ज अपवाद रूप पण्डितो, कविओनी रचनाओ, एमना जीवनकाळ दरमियान हस्तप्रतरूपे बीजे पहोंचती. कर्ताने अने कृतिने सिद्ध -प्रसिद्ध थतां अने एवी कतिओनी हस्तप्रतो लखातां अने प्रसरतां लांबो समय लागतो. हस्तप्रत साथे सीधुं काम पाडनार ते जाणे छे. आ बाजुओ राखीओ तो बीजी महत्त्वनी बाबत ए छे के आचार्यश्रीओ अने महेडुए बन्नेए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520529
Book TitleAnusandhan 2004 08 SrNo 29
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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