SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 60
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ July-2004 गजसुकुमालनी माता बने छे जे यौवनवये ज दीक्षा लई, ससरा द्वारा माथे सगडीना हारथी, समता थकी कर्म खपावी मोक्ष पामे छे. द्वारिकानी पडती थतां, कृष्ण-बलराम वनमां जाय छे ज्यां कृष्ण माटे पाणी लेवा जतां बलरामनी गेरहाजरीमां जराना बाण द्वारा कृष्ण मृत्यु पामे छे अने बळरामने भानुं मृत्यु स्वीकार अघरुं थई पडे छे अंते बलराम पण मासक्षमण अने तप द्वारा कर्म खपावी, देवलोक सिधावे छे. 55 वसुदेव पण द्वारिकानी पडती थाय ते पहेलां, बहु नारीओ साथे, अणसण लई देवलोक पामे छे. अंते रचनाकार प्रशस्ति पुष्पिकामां पोतानो परिचय आपे छे. प्रस्तुत प्रतमां ज्यां 'ष' खना अर्थमां छे त्यां तेनो ख कर्यो छे. वळी, प्रतनी कडीओना नंबरो आप्या छे त्यां बेएक स्थळे नंबर आपवो रही गयो छे के एक ज नंबर बे वार अपायो छे. जेमके - कडी नं. २२९ दर्शाववानो रही गयो छे जेने [ ]मां जणाव्यो छे. कडी नं. २३४ ने २३५ नंबर आप्यो छे अने ते पछी २३५ नंबर फरीवार आवे छे तेने सुधारी लीधेल छे. कडी नं. २६३ने २६४ नंबर आप्यो छे तेथी तेने सुधारी ते पछीनी बधी ज कडीओना नंबरो फेरव्या छे. आथी प्रतमां ३६० कडीनी जे कृति जणाय छे ते वास्तवमां आ रीते, ३५८ कडीनी लिप्यन्तरमां बनी छे तेनी पण नोंध लेवी घटे, वळी, 'छ' छे त्यां त्छ लखवानी टेव जोवा मळी छे. 'श्रीत्रिषष्ठीशलाकापुरुषचरित्र' मां पर्व ८ना बीजा सर्गथी 'वसुदेवचरित्र' आलेखायुं छे. ११मा सर्गमां द्वारिकादहन समये द्वारिकामांथी बहार जतां, अणसण करी, दाहथी मृत्यु पामता वर्णव्या छे. आनी अन्तर्गत ज नेमिकुमारचरित्रनी वात ज समांतरे चाले छे. अहीं पण एम ज थयेल छे छतां, अहीं वसुदेवचरित्रमांनी घणी बधी विगतो अहीं संक्षेपे जणावी छे. जेमके - विद्याधर कन्याओनी साथेना लग्नोनी विस्तृत वात अहीं मात्र एक ज लीटीमां छे. वळी, कनकवती, रोहिणी, नळदमयंती कथानक वगेरे खूब ज लाघवथी वर्णवाया छे. शिशुपालवध के रुक्मिणी के पांडव द्रौपदी स्वयंवरकथा, प्रद्युम्नचरित्र, नारदनुं पात्र वगेरे अनेक बाबतो आ कथानकमां जोवा मळती नथी. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520528
Book TitleAnusandhan 2004 07 SrNo 28
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy