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________________ 100 अनुसंधान-२८ पत्र अत्रे प्रगट करवामां आवे छे. उपरांत, आ रकमनो चेक अर्पण करवानो समारोह, श्रीसंघमन्दिरना उपाश्रयमां, पूज्य आचार्यश्रीविजयसूर्योदयसूरिजीनी निश्रामां, चैत्र शुदि १४ ता. ४-४-२००४ना दिने योजायो, ते समये उपस्थित विशाल श्रावकवृन्दने प्रेरणा करवामां आवतां, आवतां पांच वर्षपर्यन्त दर वर्षे, श्रीसंघ तेमज विविध ज्ञानपिपासु श्रावक गृहस्थो तरफथी कुल एक लाख रुपियानी रकम आ कोश-प्रकल्प माटे, भाण्डारकर-प्रतिष्ठानने भेट आपवानो निर्णय करवामां आव्यो हतो. श्रीसंघे संस्थाने लखेल पत्र आ प्रमाणे छे : श्री गोडी पार्श्वनाथजी टेम्पल ट्रस्ट, पूना ११०ब । १११ गुरुवार पेठ, पूना ४११०४२ फोन : (९१०२०) ४४७४७६७ ता. ३१/३/०४ प्रति, भांडारकर इन्स्टिट्यूट, पूना. मान्यवर, हमारे श्री गोडी पार्श्वनाथ जैन श्वेताम्बर मन्दिर ट्रस्ट के द्वारा, हमारा श्री जैन संघ, आपके प्रतिष्ठान को रू. १,००,०००/- (एक लाख रुपये) का दान दे रहा है । (चेक नं. ६७७७०६, ता. ३१-३-२००४, बैंक ऑफ इंडिया.) इस रकम का उपयोग आपके प्रतिष्ठान में चल रहे प्राकृत शब्दकोश - कार्य के लिए किया जाय, ऐसी अपेक्षा के साथ यह दान हम दे रहे हैं। हमने सुना है कि इस कोश-कार्य में आर्थिक सहायता की आवश्यकता है, अतः इस रकम का उसी कार्य में उपयोग किया जाय ऐसा हमारा अनुरोध है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520528
Book TitleAnusandhan 2004 07 SrNo 28
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2004
Total Pages110
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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