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December 2003
माहिती
ब्रिटननी ऑक्सफर्ड युनिवर्सिटीना ओरिएन्टल इन्स्टिट्यूटमां हिन्दीना व्याख्याता, हंगेरीना प्रोफेसर डॉ. इम्रे बंघा ( Dr. Imre Bangha) ए वृन्दावनना भक्त कवि आनन्दघनना जीवनवृत्तनो ग्रन्थ " सनेह को मारग " (ई. १९९९, दिल्ली) तो आप्यो ज छे. हवे तेओ जैन कवि अवधू आनन्दघननी कविता विशे एक ग्रन्थ तैयार करी रह्या होवाना समाचार छे. तेनी सामान्य विगत आ प्रमाणे छे : The Songs of Anandaghan : Rajasthani Gujarati Jaina Poetry From the Seventeenth Century. (Introduction and English translation in Cooperation with Richard Fynes). 2003.
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" सनेहको मारग "मां पण तेमणे अवधू आनन्दघन विषे विस्तृत नोंध आपी छे.
ई. २००१ मां सूरतमां "अवधू आनन्दघननी शब्दचेतना'" विषे एक द्विदिवसीय संगोष्ठीनुं आयोजन थयुं हतुं, ते प्रसंगे योजायेल रात्रि - कार्यक्रममां आनन्दघनजीनां त्रीसेक पदो संकीतबद्ध रजू करवामां आवेलां. ते पदोनुं स्टुडियो रेकोर्डिंग वडोदराना संगीतरत्न श्रीजयदेव भोजकना संगीत निर्देशनमां करवामां आव्युं छे. तेने "आनन्दघन पदमाला" शीर्षकथी चार भागमां C.D. तथा Cassettes रूपे प्रगट करवामां आवेल छे. चारे केसेटोमां गवायेलां पदोनी भूमिका तथा रसदर्शन आ. विजयशीलचन्द्रसूरिए लखेल छे, जे आकाशवाणी - उद्घोषकना कण्ठे बोलायेल छे. प्रकाशक तथा प्राप्तिस्थान : श्री भद्रंकरोदय शिक्षण ट्रस्ट, C/o. यशोभद्र शुभंकर ज्ञानशाला, महावीर सोसायटी, गोधरा ( पंचमहाल, गुजरात) ३८९००१, आ प्रमाणे छे.
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