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June-2003
साह श्री जेठमल्लजी उद्यम करे भलो. परिवार सवें इण ठाम तिहां धर्मि मल्यो
कुलमां दीप समान दीपचंद साहजी द्रव्य व्यय बहुं कीध चिन्तामणि काजजी मनना मनोरथ आज फल्या सवि तेहना धर्मे हती जे बुद्धि विघन नहीं केहना संवत अढार पिस्तालिस मांहे सही महा वदी चोथ सार रविवारे लही तखत विराजे श्री अश्वसेन नरिंदनो वामा राणी - जात दरिसण करो तेहनो
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वाचक रामविजय गुरु गुरु समो तास सीस प्रतापविजयने नमो गुणविवेकी वीवेकविजय मुझ गुरु हरखें करो नित सेव जयकमला वरू इतिश्री चिन्तामणी पार्श्वनाथ स्तवन
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