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________________ पं. केसर-कृत स्तवन सं. रसीला कडीआ प्रस्तुत स्तवननी नकल ला.द. भा.विद्यामंदिर, अमदावादना त्रूटक पुस्तक परथी करी छे. ते सारी स्थितिमा छे. पत्र-१ छे. सौराष्ट्रना हालार देशमां एटले जामनगर पासे आवेला भाणवडनगरमां श्रीआदीश्वर जिनेश्वरनी प्रतिष्ठाना प्रसंगने अनुलक्षीने आ कृतिनी रचना थयेल छे. पोताना भाईनी विनंतिने ध्यानमां लईने पंडित केसरे आ स्तवननी प्रतिष्ठा महोत्सव वखते रचना करी छे. आ प्रतिष्ठामहोत्सव तपागच्छना नायक श्री क्षिमासूरिजी, एमनी पाटे शोभता श्री दयासूरि तथा पंडितोमां शिरोमणि (सेहरा-कलगी) समा श्री हेमसागर तथा पंडित केसरनी निश्रामां उजवायेल छे. सं. १७९५मां वैशाख वद पांचमना रोज श्री संघ द्वारा निर्मित जिनालयमां श्री आदीश्वर जिनेश्वरनी स्थापना करी अने ते निमित्ते जे प्रतिष्ठा महोत्सव थयो तेमां स्नात्रमहोत्सव थयो, बहुविध संघोने आमंत्री स्वामिवात्सल्य थयुं, भगवाननी अति सुंदर आंगी रचाई तथा सुंदर गीतो गवायां अने घणी ज प्रभावना थई. आ समये जादवकुळना राजा रणमल राज्य करता हता. वळी, आ महोत्सवमां मं. कानजी पंचाअण, मं. वलभजी डुंगर, मं. डुंगरसुत तथा मं. हदु सुते अनेक प्रकारे सारो एवो लाभ लीधो होवानो उल्लेख पण मळे छे. आम प्रस्तुत स्तवनमां भाणवडनगरना जिनालयनी प्रतिष्ठा महोत्सवनी ते समयना राजा अने मंत्रीओनी प्रतिष्ठा संवतनी तथा तपागच्छना श्री क्षिमाविजयनी पाट परंपरानी अमूल्य ऐतिहासिक सामग्री सांपडे छे. स्तवन नणदलनी देसी सरसती सामनि वीनवु, सद्गुरु लागु पाअ- भवियणः हलार देस मनभावतो, भाणवडनगर सूख थाअ ॥१॥ भ० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520524
Book TitleAnusandhan 2003 06 SrNo 24
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages128
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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