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________________ 84 अनुसंधान-२३ हाथे अभिषेकसमये ओगळी गई हती तेना स्थाने ते प्रतिमा स्थापित करी. आ आखी वात विगते वर्णवीने प्रबन्धकार नोंधे छे के - "रत्नस्थापितं नेमिबिम्बमिदं यद् वन्द्यमानमास्तेऽधुना" । (पृ. ९७) आ एक महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक नोंध गणाय. • कोईने अतिशयोक्तिपूर्ण लागे, तो मोटा भागना जनोने गळे ज ना ऊतरे तेवी एक विलक्षण वात पण आमां जडे छे, वस्तुपालप्रबन्धमां. दिल्लीना सुलतान मौजदीननी मातानी हजयात्रा अंगेनो वस्तुपाल मंत्रीनो प्रसंग अत्यन्त प्रसिद्ध छे. ते प्रसंगे वस्तुपाल मक्कानी मसीद माटे पाषाणनिर्मित कलात्मक तोरण मोकलवा उपरांत दीवा माटे तेल वगेरे सामग्री सहित घj घणुं त्यां अर्पण करवा मोकले छे. आ प्रसंगे प्रबन्धकार नोंधे छे के - मक्काशरीफ के काबानो पत्थर ए शुं छे वास्तवमां ? तो "श्री नाभेयपादुकास्थाने महामण्डपश्च तत्र । परमार्थतस्तीर्थमिदं श्रीऋषभपादुकामयं बाहुबलिना कृतम् ।" (पृ. ११९) ___अने अत्यारे हजयात्राए जनार के गयेल कोई प्रमाणिक ने साफदिल हाजी साथे अन्तरंग चर्चा करीए, तो आ वर्णन साथे मेळ धरावती घणी विगतो सांपडे छे, एटलुं ज नहि, त्यां करवामां आवता क्रियाकांड तथा वेषपरिधानादि विषे पण घणी समजवायोग्य वातो सांपडी रहे छे. ७. वस्तुपालना जीवन साथे संकलित बे-त्रण घटना जोवा जेवी छे. • रैवतगिरिनी यात्राए जता यात्रिको पासे,त्यां वसता 'भरडा'ओ यात्राकर (परंपरागत होवाथी) उघरावता होवा- मंत्रीना ध्यान पर आवतां तेमणे ते लोकोने 'कुहाडी' नामे गाम बक्षीसरूपे आपीने कर-उघराणी कायम माटे अटकावी. (पृ. १२०) __वर्तमानमा सिद्धाचलतीर्थे बारोट लोको द्वारा फल नैवेद्यादिनी आवक लई जवानो प्रश्न उकेलती वखते, आपणा वडीलोए एक फण्ड ऊभुं करीने बारोटोना कल्याणार्थे अर्पण करी पेली आवक लई जवानी कायम माटे बंध करावी- ते व्यवस्था, वस्तुपालीय व्यवस्था साथे केटली मळती आवे छे ! • राणा वीरधवलनो देहान्त थयो, त्यारे अनेक सेवको बळी मरेला, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520523
Book TitleAnusandhan 2003 04 SrNo 23
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages98
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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