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________________ January-2003 57 सोएक वर्षथी शरु थयुं छे. मोटा गजाना इतिहास-संशोधकोए इतिहासना घणा बधा कोयडा उकेल्या छे, इतिहासनी पुष्कळ सामग्री एकत्र करी छे. आम छतां, इतिहासमां उमेरवा जेवू हजी घणुं बाकी रहे छे. पुण्यविजयजी, जिनविजयजी, नाथूराम प्रेमी, मोहनलाल द. देसाई, पूरनचंद नाहर, अगरचंदजी नाहटा, जयंतविजयजी, विजयेन्द्रसूरि, पं. सुखलालजी, पं. बेचरदासजी, दरबारीलाल कोठिया जेवा पुरोगामीओए ऐतिहासिक तथ्यो एकत्र करवानुं अने इतिहासना अंकोडा मेळववानुं कार्य कर्यु छे, छतां तेमना समय पछी बहार आवेली नवी सामग्रीना आधारे इतिहासना परिष्कार--परिमार्जननुं कार्य तो ऊ| ज छे. इतिहासना कंटाळाजनक अने पडकाररूप क्षेत्रे प्रवृत्त होय एवा थोडा सारा संशोधको सद्भाग्ये आजे पण छे. प्रा. मधुसूदन ढांकी आवा एक समर्थ-सुसज्ज-संनिष्ठ, तीक्ष्ण दृष्टि धरावता, बहुमुखी प्रतिभावाळा इतिहासविद छे. एमनुं कार्यक्षेत्र व्यापक छे. आनंदनी वात ए छे के जैन इतिहासना संशोधनने एमणे पोताना कार्यक्षेत्रमा समाव्युं छे. जैन इतिहास विषयक तेमना लेखोनो संग्रह 'निर्ग्रन्थ ऐतिहासिक लेख समुच्चय' एवा नामे बे भागमां हमणां ज बहार पड्यो छे. आ लेखोनुं परिशीलन करतां कोईने पण लागशे के श्री ढांकीना रूपमां एक समर्थ, जवाबदार इतिहासकार आपणने सांपड्या छे. १९६६ थी शरू करी अत्यार सुधीमां लखायेला ५६ जेटला लेखो - निबंधो आ ग्रंथमां प्रकाशित थया छे. इतिहास संबंधित सामग्रीथी आ ग्रंथ ठसोठस भरेलो छे. विषयवैविध्य, रजुआतनी शैली, शुद्ध ऐतिहासिक दृष्टिकोण अने लेखकनी सज्जता - आ बधं अहीं नेत्रदीपक बनी आपणी सामे आवे छे. उपर जेनी चर्चा करी छे ते कार्य अर्थात् बहार आवेली ने आवती रहेती नवी सामग्रीना आधारे इतिहास, परिमार्जनकार्य आजे पण चालु छे एवो संतोष श्री ढांकीना आ बे ग्रंथ जोईने जरूर थाय. इतिहासनी शोधमां नानी नानी विगतो केवो मोटो भाग भजवे छे अने एवी विगतोनो समन्वय करवामां केवा कौशल्यनी जरूर पड़े छे, ए वात आ संग्रहमांनो एक-एक लेख जोतां वाचकने सारी रीते समजाशे. लेखो एटला तो सुग्रथित रूपे लखाया छे के संशोधनात्मक इतिहासलेखनना आदर्श Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520522
Book TitleAnusandhan 2003 01 SrNo 22
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2003
Total Pages78
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size5 MB
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