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ऑक्टोबर २००२
अमृतलाल मोहनलाल भोजक
प्रकाशक : श्रुतिनिधि, अमदावाद, ई. २००२
प्राकृत भाषानिबद्ध आ ग्रंथनो प्रथम भाग पूर्वे प्राकृत ग्रन्थ परिषद् द्वारा (ई. १९८१) प्रकाशित हतो; तेनुं पुनर्मुद्रण छे. द्वितीय भाग प्रथमवार प्रगट थाय छे. एक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ, संपूर्ण प्रकाशन थq ए महत्त्वनी घटना छे. अलबत्त, आवा महत्त्वपूर्ण अने वर्षोना विलम्ब बाद थयेल प्रकाशनमां विस्तृत अने अभ्यासपूर्ण प्रस्तावना तेमज विविध परिशिष्टो अपायां होत तो ग्रंथनी उपादेयता खूब थात. दुर्भाग्ये तेम नथी थयु, अने प्राचीन प्रणालिकानुसारे ज ग्रन्थ प्रकाशित थयो छे. ११. प्राचीन मध्यकालीन साहित्यसंग्रह
(मोहनलाल दलीचंद देशाई - संपादित लघुकृतिसंग्रह) सं. जयंत कोठारी प्रका. ला.द.भा.सं. विद्यामन्दिर अमदावाद (ई. २००१)
मो.द. देशाईए 'कोन्फरन्स हेरल्ड' तथा 'जैन युग' वगेरे सामयिक पत्रोमां, पोतानी सुदीर्घ संशोधन-यात्रानी आडपेदाशरूपे, अनेक मध्यकालीन रचनाओ संपादित तथा प्रकाशित करेली. ते कृतिओनुं संकलन तथा केटलाक अंशे पुनःसंपादन, जयंत कोठारीए, आ ग्रन्थमां आपेल छे. कृतिओनी संख्या ११० जेटली छे. परिशिष्टमां शब्दकोश, भले अधूरो पण, मूकवामां आव्यो छे. जयंत कोठारी वधु रह्या होत तो तेमनी विस्तृत भूमिकानो, पूर्ण शब्दकोशनो, तथा अन्य परिशिष्टादिनो लाभ अवश्य मळी शक्यो होत. खूब मूल्यवान प्रकाशन.
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नोंध १ : अनुसन्धान-१९मां प्रकाशित 'गौतमस्वामी- स्तवन' पूर्वे अन्यत्र प्रकाशित होवानुं जाणवा मळे छे. तेमां केटलाक पाठभेद छे, अने त्यां विजयसेनसूरिना शिष्य ‘धीर' (धीरविजय)नी आ रचना होवानो निर्देश छे. अर्थात् आ रचना जैन परंपरामा लोकप्रिय छे.
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