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________________ ओक्टोबर २००२ आ विज्ञप्तिनां प्रथम १० पद्यो पद्धडिया । पज्झटिका छंदमां रचायेलां छे, जे १६ मात्रानो समचतुष्पदी छंद छे अने जेना दरेक पदना छेडे जगण छे । छेल्लं पद्य १०-८-१४ मात्रानी यतिवाळा ३२ मात्राना द्विपदी घत्ता छंदमां रचायेलुं छे । छठ्ठी विज्ञप्ति विहरमान तीर्थंकर श्रीसीमंधरस्वामिभगवाननी छे । अहीं पण विज्ञप्तिकार पूर्वनी जेमज भगवानना मनोवांछितदायकता-जगदुरुता वगेरे अनेक गुणोनुं वर्णन तथा शरीर-लक्षणोनुं वर्णन मनोज्ञ पदो द्वारा करे छे अने अंते गुणस्तव- फल शिवसुख छे तेवू जणावे छे । । आ विज्ञप्ति २४ मात्राना समचतुष्पदी रोला छंदमां रचायेली छे अने तेनुं छेल्लु पद्य १०-८-१४नी यतिवाळा ३२ मात्रायुत द्विपदी घत्ता छंदमां रचायेलुं छे । कर्ता : पांचमी तथा छठ्ठी विज्ञप्तिना रचयिता तरीके पुष्पिकामां पं.. श्रीधर्मशेखर गणि, नाम छे । शेष चार विज्ञप्तिमां कोई नाम नथी । छतां विज्ञप्तिनी भाषा तथा रचनापद्धति जोतां छए विज्ञप्तिओना रचयिता पं. श्रीधर्मशेखरगणि ज होय तेवं निश्चितपणे जणाय छे । विहारना कोइ क्षेत्रना ज्ञानभंडारमाथी प्राप्त थयेल आ प्रतिनी झेरोक्ष कॉपी परथी आ संग्रहनुं संपादन कर्यु छ । प्रतिनी स्थिति तथा अक्षरोना मरोडो वगेरे जोतां आ प्रतिनुं लेखन १५ मा सैकामां थयुं होय तेवू अनुमान करी शकाय छे । अक्षरो अत्यंत सुंदर तथा स्वच्छ छे । दरेक पत्र पर १७ पंक्तिओ छे, छेल्ला पत्रमा ९ पंक्तिओ छे । . विज्ञप्तिकासङ्ग्रहः श्रीज्ञानसागरसूरिविज्ञप्तिः विमलचारित्तपरिकलियवरदेहओ, भत्तिजुयभवियजणनमिपयपंकओ । अमयसमनिय(य)वाणीइ महिबोहगो, जयओ(उ) सिरिनाणसायरमुणीनायगो ॥१॥ इंदुसमकित्तिभरभरियभूमंडलो, सूरिछत्तीसगुणजुत्त-बहुमंगलो ।। पवरसिद्धंतजलहिस्स जो पारगो, जयओ(उ) सिरिनाणसायरमुणीनायगो ॥२॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520521
Book TitleAnusandhan 2002 09 SrNo 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages74
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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