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________________ ऑक्टोबर २००२ ११ विगतो आपणने जैन धर्मना मुद्रित अमुद्रित आचारग्रंथो द्वारा तथा प्रचलित क्रियानुष्ठानो द्वारा मळी शके तेम छे. जो के जैन ग्रंथोमां बीजां घणां विधि-विधानो छे; मृत आत्मानी पुण्यस्मृत्यर्थे तथा तेनां सत्कर्मोनी अनुमोदनार्थे तेम ज मांगलिक प्रसंगोए विघ्न-रोग-शोक- उपद्रवादिना उपशमार्थे शान्तिस्नात्रादि अनुष्ठानो पण थतां होय छे; पण मृत्यु पामेली व्यक्तिनी पाछळ श्राद्ध के तर्पण जेवुं अनुष्ठान जेम ब्राह्मण-संप्रदायमा मळे छे थाय छे, तेवुं कोई अनुष्ठान जैन धर्ममां जोवा मळतुं नथी, के तेवां अनुष्ठाननो विधि पण आजपर्यंत कोई जैन ग्रंथमां जोवामां के सांभळवामां आव्यो नथी. जैनो मरणोत्तर श्राद्ध - पिंडदान के तर्पणमां मानता नथी; बल्के एनो निषेध / विरोध करे छे, एवो एक स्वीकृत ख्याल परापूर्वथी आपणे त्यां प्रवर्ते छे. अने आथी ज जैनोमां आवो कोई विधि आजे थतो पण नथी. परंतु एक संस्कृत कृति पूज्यपाद आचार्य श्री विजयसूर्योदयसूरिजी म. ना संग्रहगत एक प्राचीन हस्तलिखित गुटकामांथी तेओश्रीने मळी आवी छे; अवुं नाम छे " ऋषभतर्पणम्" जे गुटकामांथी आ कृति मळी आवी छे ते गुटकानां विविध पृष्ठोमां संवत १६४२, १६४३, १६४६ ए त्रण संवतो लखायेल जोवा मळे छे अने ते संवतो, ते ते पृष्ठ पर पूरी थती कोई कृतिनी पूर्णाहूति ते वर्षे थई होवानुं निर्देशे छे, ओ उपरथी, आ गुटको १७मा शतकना पूर्वार्धमा लखायेलो होवानुं मानवामां कोई अडचण नडे तेम नथी; अने एटले ज, आ ऋषभतर्पण पण ते गुटकाना समय करतां वधु जूनी कृति छे ए पण सहज ज सिद्ध थाय तेम छे. आ कृतिना कर्ता परत्वे कृतिमां के गुटकामां क्यांय निर्देश नथी. आम छतां, आ कृति अने गुटको ऊना ( काठियावाड) ना रहेवासी श्रावक शिवसीना पठनार्थे लखवामां आव्यां होई, ए प्रदेशना श्रावकोमां आकृति तथा तेनो उपयोग, ते समयमां प्रचलित हशे, एवं अनुमान थाय छे. सौराष्ट्रना प्रभासपाटण, प्राची, गिरनार वगेरे तीर्थक्षेत्रो, हिंदु परंपरामां आजे पण श्राद्ध अने पितृतर्पण वगेरे अनुष्ठान माटे मान्य धर्मक्षेत्रो गणाय छे. आ क्षेत्रोमां परंपराथी आ बधां अनुष्ठानो थाय छे. एम लागे छे के जैन गृहस्थवर्ग पण, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520521
Book TitleAnusandhan 2002 09 SrNo 21
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2002
Total Pages74
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size4 MB
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