SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 263
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 256 दादीमाना तो जाणे सुखना दिवसो आवी गया. १९१७नी २६मी मेना दिवसे वैष्णव कुटुंबमां मारो जन्म थयो.' हरिवल्लभ भायाणी पोताना जन्म साथे जोडायेली घटना विशे वात करी रह्या छे : 'घरमां दीकरानो जन्म थवाथी स्वाभाविक ज अमारा नाना कुटुंबमां खुशाली व्यापी गई, परंतु ओ खुशी लांबो समय टकी नहीं. मारी एक वर्षनी उंमरे मारा मातापिता मृत्यु पाम्यां अने अमारा उछेरनो बोज दादीमा पर आवी पड्यो .' 'पहेलां पति- मृत्यु, पछी नजर सामे ज जुवानजोध दीकरा-वहुनु मृत्यु अने बे बाळकोना उछेरनी जवाबदारी....दादीमा पर तो दुःखना डुंगरा खडकाईगया, परंतु ईश्वरमां अमने दृढ श्रद्धा हती एटले बधुं दुःख समताथी जीरवी गयां. ए हमेशां कहेतां : 'जीवनमां सुखदुःख अने तडकीछांयडी तो आव्या ज करे छे. आपणे गया भवमां कोई- खराब कर्यु हशे एटले आ भवमां भोगववानुं छे.' 'दादीमा पासेथी मने जीवन जीववाना घणा पाठ शीखवा मळ्या. ए खूब स्वमानी हतां अने क्यारेय कोईनी आगळ हाथ लांबो करतां नहीं.' भायाणीदादा ते समयनी गरीबाई विशे वात करी रह्या छे : 'दादीमा पहेलेथी ज करकसर करीने जीवतां. ते हमेशां कहेता के रूपियो होय तो आठ आना खरचो... मारा पिताना मृत्यु पछी ओमना वीमाना पांचसो रूपिया मळ्या हता. तेमां त्रणसो उमेरीने दादीमाए आठ टकाना व्याजे आठसो रूपिया मूकेला. व्याजनी रकममां मामा तरफथी मळता पच्चीस रूपिया उमेराता. ते उपरांत दादीमा जातमहेनतथी कमाईने अमारुं भरणपोषण करतां हतां.' दरमियान दादीमा पर फरी एक वार आम तूटी पड्युं. ते विशे भायाणीदादा कहे छे : 'मारी पांच वर्षनी उंमरे मने अने मारी बहेनने उटांटियानी बीमारी थई. अमां मारी बहेन गुजरी गई अने हुं बची गयो.' दादीमानी हयातीमां पौत्री, मृत्यु थाय तो दादीमाना दिल पर केवो आघात लागे ? कठण काळजानां दादीमा आ दुःख पण जीरवी गयां. बाळ हरिवल्लभना हसता चहेरा सामे जोईने अमणे मन वाळी लीधुं : 'हवे तो एकना एक पौत्रने भणावी गणावीने जीवनमा आगळ वधारवो छे....' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy