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________________ 238 विद्याप्रवाहोना नियमित संपर्कमा रहेता भायाणीसाहेब भाषाविज्ञानना शैलीविज्ञान वगेरे नूतन फांटाओ सुधी प्रसर्या. आ अद्यतन विद्यारुचिए ज संस्कृत काव्यशास्त्र-रसशास्त्रना आ अभ्यासीने आधुनिक साहित्यविचार अने सौंदर्यशास्त्रना सीमाडा सुधी पहोंचाड्या. पोताना समय अने समाज साथेनी निसबते भायाणीसाहेबने वर्तमान गुजराती साहित्य विशे विचारता-लखता कर्या. - अद्यतनता, वैज्ञानिकता, प्रमाणभूतता, पद्धतिसरता, चोकसाई, लाघव अने विशदता ओ भायाणीसाहेबनां विद्याकार्योनां अलग तरी आवतां प्रमुख लक्षणो. प्राचीन परंपराने लगतां कामो पण पश्चिमना विद्याजगते संपडावेली आधुनिक दृष्टिथी थाय. पोतानी रुचिनां विद्याक्षेत्रोमां थई रहेली कामगीरीनी भायाणीसाहेब पासे छेल्लामां छेल्ली माहिती होय. कोई नवं सरस काम ध्यानमां आवे त्यारे ओ रोमांच अनुभवे अने उमळकापूर्वक आपणुं पण अना तरफ ध्यान दोरे. भायाणीसाहेब जेवा तरोताजा-नूतनता अने प्रफुल्लताथी भर्या विद्वान बीजा न मळे. ___वैज्ञानिकता, प्रमाणभूतता अने चोकसाई माटेनो भायाणीसाहेबनो आग्रह घणो भारे. प्रमाणभूतता अने चोकसाईथी कही शकाय अटलुं ज कहेवू. अटकळ-अनुमानना प्रदेशमां धसी जवू नहीं, आप-ख्यालोथी दोरावयूँ नहीं, वाग्मितामां राचq नहीं. भायाणीसाहेबने नामे केटलांक मोटां कामो छे ज. पण घणा लघुलेखो. ने नानकडी नोंधो पण छे ते आ कारणे. आधुनिक साहित्यविचार जेवा विषयमां आq खास बन्युं छे. 'मारे एक डगलुं बस थाय' एवी जाणे अमनी वृत्ति. मुद्दो पूरो कंतातो न लागे, क्यांक अछडतो रही जतो पण लागे. नूतन दृष्टिने कारणे आवां लखाणो पण आपणी दाढे वळगे, साथे कंईक अतृप्ति रही जाय. तेम छतां आ लखाणोनी विचारोत्तेजकतानुं मूल्य ओर्छ नहीं अने आपणे माटे तो ए संघरी लेवा जेवां. संपूर्णतावादी थवानां जोखमो भायाणीसाहेब जाणता ज होय. भृगुराय अंजारियानो दाखलो तो नजर सामे. भायाणीसाहेबे विद्वत्ता अने व्यवहारबुद्धिनो अजब मेळ बेसाडेलो. पश्चिमना ऊंचां धोरणोथी हमेशा प्रभावित रहेता भायाणीसाहेब आ व्यवहारुबुद्धिने कारणे ज आपणी वास्तविकताओनो स्वीकार करीने पोताना काममां केटलीक वार मर्यादा स्वीकारी लेता ने बीजानां तो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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