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________________ 225 भाषाना रामायणविषयक महाकाव्य 'पउमचरिय' पर महानिबंध लखीने डॉक्टरेटनी पदवी मेळवी. ए पछी आ क्षेत्रनां एमनां संपादनो आंतर्राष्ट्रिय ख्याति तो पाम्यां, किंतु तेथीय विशेष नवी दिशादृष्टि आपवामां सहायक बन्यां. 'अपभ्रंश व्याकरण', 'व्युत्पत्ति विचार' अने 'थोडोक व्याकरणविचार' जेवा ग्रंथोमां भाषाविज्ञानी तरीकेनी एमनी प्रतिभानां दर्शन थाय छे. _ 'कमळना तंतु' के 'तरंगवती' जेवी मध्यकालीन गुजराती कृतिओनां संपादनमा एमनो संशोधक तरीकेनो नवोन्मेष प्रगट थाय छे. गुजराती विवेचनना क्षेत्रने अनेक पुस्तकोथी एमणे समृद्ध कर्यु. प्राचीन साहित्यथी मांडीने आधुनिक साहित्यनी छेल्लामां छेल्ली गतिविधि साथे एमनो परिचय होय. एमनी प्रज्ञानो आवो अखंड विस्तार जोईए त्यारे आश्चर्य थाय. पाश्चात्य विवेचनना अद्यतन प्रवाहोनो ऊंडो अभ्यास धरावता अने छेल्लामां छेल्ला उपलब्ध ग्रंथो के लेखो विशे लखता रहेता. अपभ्रंशना दुहाथी मांडीने पोस्टमॉडर्निझम अने स्ट्रक्चरालिझम विशे लेखो लखता होय. कठिन व्याकरणग्रंथोथी मांडीने शृंगाररसिक मुक्तकोनो अनुवाद पण भायाणीसाहेब पासेथी मळ्यो छे. बौद्ध जातक कथाओना अनुवादनो ग्रंथ 'कमळना तंतु' मळे छे. भायाणीसाहेब जर्मन, मराठी, बंगाळी, तमिळ भाषाओ जाणता हता. प्रारंभमां तेओ अंग्रेजीमां लखता हता. लोकसाहित्यमां पण एमने ऊंडो रस. 'लोकसाहित्य : संपादन अने संशोधन' नामना शास्त्रीय पुस्तके लोकसाहित्यना अभ्यासीओने नवी दिशा आपी छे. संस्कृत प्राकृत अने अपभ्रंश मुक्तकोना अमर साहित्य वारसाने एमणे 'गाथामाधुरी', 'मुक्तकमाधुरी' जेवां पुस्तकोमा संग्रहित कर्यो १९४०मां 'प्रस्थान'मां एमनो प्रथम लेख छपायो त्यारथी मांडी आ वर्षना नवेम्बर महिना सुधी एमनी विद्यायात्रा चालु रही. गुजरातीमां लखीने मातृभाषाने न्याल करी. भायाणीसाहेब पासे जेटली ऊंडी साहित्यचर्चा थई शके एटली ज साहजिकताथी तेमना जन्मस्थळ महुवानी, अपभ्रंश भाषाना दुहानी के ए पछी प्राकृत-संस्कृत मुक्तकोनी चर्चा थई शके.. _ आवा भायाणीसाहेबने रणजितराम सुवर्णचंद्रक, दिल्हीनो साहित्य अकादमीनो एवोर्ड, प्रेमानंद साहित्यसभानो चंद्रक, गुजरात साहित्य अकादमीनो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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