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________________ 210 तो पण एकना एक कथानक पर अनेक केम कृति करे छे ? | ए उतारो के मात्र पुनःकथन होय छे ? 'नंदबत्रीशी'नी भारतभरमां अनेक कृतिओ शाथी रचाई ? माधव अने कामकुंडलानी कथा संस्कृत, जूनी गुजराती बधे ज केम आवी ? सगा माबाप एक साधुनी हठ माटे ने व्रत माटे थईने ज पोताना पुत्रनुं माथु कापे, खांडे, एवी भयंकर दारुण घटना कथामां केम आवे ? ने आवी कथा लोको केम माणे ? कयुं कारण आवी कथाने जन्म आपे ? कया कारणे आवी कथाओमां लोकोने रस पडे ? ए केवो समाज? केवां एनां धोरणो ? आ बधा पाछळनो वास्तव कयो ? कई राई परना आ पहाडो ? 'पंचतंत्र' विश्वभरमां केम फेलाई गयुं ? बधी ज भिन्न प्रजाओ अने संस्कृतिओने एमां रस शाथी पड्यो ? विश्वसमग्रनी मानवचेतनाने जोडनारूं सूत्र कयुं ? प्राचीन अने मध्यकालीन कथाओ केवळ कल्पित मनोरंजनात्मक रसोत्पादक सामग्री ज नथी. युगोजूनी संस्कृतिनो ए दस्तावेज छे !' ___- ए ज घडीए में आ गुरुनी कंठी बांधी. अत्यार सुधी आ बधुं ज मात्र मनोरंजनात्मक लागतुं हतुं. संशोधकना स्टेथोस्कोपे कयो धबकार सांभळवानो छे, एनी पहेली ज मुलाकाते मने जाण थई. ___पछी गुरु-शिष्य-संवाद नियत अने नियमित बन्यो. हुं कॉलेजथी छूटी सायकल पर भाषाभवन पहोंचं. त्यांथी भायाणीसाहेब साथे चालतां गोष्ठि करतां महादेवनगरना घर सुधी के अर्धे सुधी. ए दोडवानी झडपे चाले. मारे त्यारे ने पछी पण छेक सुधी एमनी साथे रहेवा मथर्बु पडे, दोडवू ज पडे, ढसडाता, चालवामां पण ! वच्चे एक दिवस कहे : 'चाल मारा गुरु बताद् !' में त्यारे पहेलुं दर्शन कर्यु जिनविजयजी,. श्याम, ऊंचो, प्रभावशाळी देह. सामे लाल वस्त्रोमां विटेली पोथी. थोडं बेठां. वात करी. बहार नीकळतां कहे : 'केवा लाग्या मारा गुरु !' में कह्यु : 'भव्य योद्धा जेवा!' ए कहे : 'क्षात्रधर्मी विद्यापुरुष छे मारा गुरु !' __पछी भायाणीसाहेब युनिवर्सिटी केम्पसना रीडर्स क्वार्टरमां आव्या ने पछी ज्ञाननी प्रथा जेवा हाईलेन्ड पार्कमां. मने पण क्वार्टर मळ्युं गुलबाई टेकरा परना पांच बंगलामां. पाछळनी वंडीनी झांपलीमांथी ज सीधा ते काळना सचिवालय अने पछीना काळे बनेला पोलिटेनिकना केम्पसमां. एनी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520518
Book TitleAnusandhan 2001 00 SrNo 18
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2001
Total Pages292
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size15 MB
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