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________________ अनुसंधान-१७• 242 प्रकास : प्रकाशक प्रेमी अभिनंदन ग्रंथ १९४६ प्रबुद्ध जीवन १-१२-५६ प्रबुद्ध जीवन प्रबुद्ध जीवन १५-५-५८ प्रबुद्ध जैन १९५७ १९५७ १९५८ १९४६ जनसत्ता १९७४ पर्युषण पर्वनी व्याख्यानमाळा १९३७ महाभारत सेमीनार, गुज. युनि. -- १८-५-७५ जैन प्रकाश १९४४ क्रम लेख भाषा जैन दार्शनिक साहित्य हिन्दी का सिंहावलोकन जैन धर्म गुजराती जैन धर्म गुजराती ७२ जैन धर्म अने बौद्धधर्म गुजराती जैन धर्मना उच्च गुजराती शिक्षणनो प्रश्न जैन धर्मना केन्द्रवर्ती गुजराती सिद्धांतो-अहिंसा, अपरिग्रह अने अनेकांत जैन धर्ममा विश्वधर्म गुजराती बने तेवा तत्त्वो छे खरा? ७६ जैन महाभारत कथा: गुजराती । साहित्य जैन महाभारत कथा:आस्वाद ७७ जैन युनिवर्सिटी-एक गुजराती स्वप्न जैन संस्कृति का संदेश हिन्दी ७९ जैन साहित्य गुजराती ८० जैन साहित्य के इतिहास हिन्दी की प्रगति जैन-आगम साहित्य पर हिन्दी एक दृष्टि ___ जैनजीवन प्रबुद्ध क्यारे गुजराती बनशे? जैनधर्म अने शैवधर्म गुजराती । ८४ जैनधर्म और जातिवाद हिन्दी । जैनधर्मना आराध्य देवो गुजराती जैनधर्मनो प्राण गुजराती ८७ ज्ञानोपासना गुजराती । झांझवाना जळ गुजराती ८९ डभोडा, वडनगर अने गुजराती महेसाणानो प्रवास १९४२ जैन युग १९५८ १९५४ श्रमण ६.२ जैन प्रकाश १९६२ १९७८ प्र.जी.सुवर्णजयंती महोत्सव-विशेषांक १९४९ ८५ जैनधन श्रमण १-२ विद्या Vol.XIV No.3 प्रबुद्ध जीवन जैन प्रकाश उत्थान भावसार-बंधु १९७३ १९३४ १९३३ १९६५ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520517
Book TitleAnusandhan 2000 00 SrNo 17
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages274
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size14 MB
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