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अनुसंधान - १७• 221
४. " डॉ. हरिवल्लभ भायणी संशोधन कक्ष "
डॉ. भायाणी ए भाषाशास्त्र अने प्राकृत विद्याना क्षेत्रनुं एक अन्तरराष्ट्रिय दरज्जो धरावतुं नाम छे. हेमचन्द्राचार्यनां व्याकरण विशे डॉ. भायाणीनो शब्द आखरी शब्द गणाय छे. तेमनुं नाम जोडीने थयेला आ संशोधन कक्षमां संस्कृत-प्राकृत भाषा तथा साहित्य विशे महत्त्वपूर्ण संशोधन कार्य करवामां आवशे.
आ उपरांत विविध संस्थाओनी सत्प्रवृत्तिओनुं केन्द्र पण अहीं रचवामां आवेल छे.
आवां विविधलक्षी आयोजनोथी समृद्ध आ स्वाध्याय मंदिरना उद्घाटननो शुभ अवसर पूज्य आचार्य श्रीविजयसूर्योदयसूरीश्वरजीना शुभ आशीर्वाद पूर्वक पू. आचार्य श्रीविजयशीलचन्द्रसूरिजीनी शुभ निश्रामां सम्पन्न थयेल.
आ मंगल प्रसंगे अतिथिविशेष रूपे उपस्थित रहेला शेठ श्री श्रेणिकभाई के. लालभाईए स्वाध्याय मंदिरनुं उद्घाटन करेल. मुनिराज श्रीपुण्यविजयजी ग्रंथालयनुं उद्घाटन तेमना अन्तेवासी पं. श्री लक्ष्मणभाई भोजक द्वारा करवामां आव्युं.
पं. दलसुख मालवणिया प्राकृत ग्रंथ परिषद्नुं उद्घाटन डॉ. के. आर. चन्द्राना हस्ते थयुं.
श्रीहेमचन्द्राचार्य शिक्षणनिधिनुं उद्घाटन डॉ. जितेन्द्र बी. शाहना हस्ते करवामां आव्युं. अने,
डॉ. हरिवल्लभ भायाणी संशोधन कक्षनुं उद्घाटन डॉ. विजय पंड्यना हस्ते करवामां आव्युं हतुं.
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आ प्रसंगे मुनिराज श्री पुण्यविजयजी द्वारा संपादित तथा प्राकृत ग्रंथ परिषद् द्वारा पुनः प्रकाशित 'अंगविज्जा' ग्रंथनुं विमोचन शेठ श्री श्रेणिकभाईना शुभ हस्ते करवामां आव्युं तथा ते साथे ज प्रबुद्ध जैन मुनि श्रीभुवनचन्द्रजी द्वारा संपादित तथा अनुवादित 'सिद्धसेन शतक' ग्रन्थनुं विमोचन पण प्रा. श्रीजयंत कोठारीना वरद हस्ते करवामां आव्युं हतुं.
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