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अनुसंधान-१७• 144 शासनदेवी-पय पणमेवीअ - ए ढाल भवीअण प्राणीअ, भावन आणीअ,
पहिलीअ अनित्यता भाविवी ए, जगि जि सुहुणडा समवडि, साजन, घडीअ नव हिंडतां जाणिवी ए.
चूटक जाणीवी माया मायताया, अथिर काया ए सही, ए मित्र पुत्र कलत्र भाई, थिर सगाई को नहीं, यौवन्नि मातु विषयि रातु, फोक ममता वाहीइ, जे जीव पाहिं सुजन वाहाला, नेहि छेहु ते दीइ. ५ जोअण लंक शत अधिक चुरासीअ,
ऊंचमि गाउ सत गढ रखइ ए, त्रणि सहिस चुपन पोलि स-बारीअ, शत दुनि कोठडा एक लख ए. .
त्रूटक एक लक्ष त्र्यासी सहिस कोठा, बुरुज छप्पन हवि सुणु, चु कोडि लख उगणच्यालीस कोडी, सहिस चु कोडि शत भणउ, त्रिपन कोडी लक्ष बारे सहिस पंचास कोसीस ए, चु सहिस छणुं सुभट सूरा, कोसीसइ एक निवसए, इम सर्व संख्या सुभट कहीइ, अढार कोडाकोडि शती, सोविन्न गढ दृढ जलधि खाई, लंकनगरी जसवती. ६ रावण भूपति, लंकनु अधिपति,
सुरपति जस सुति जीपीउ ए, एक लख पंचवीस, सहिस सुत बत्रीस,
जोअण परिषदि दीपतु ए.
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