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________________ अनुसंधान-१६. 234 'जैन साहित्यनो संक्षिप्त इतिहास'- नवसंस्करण सद्गत मोहनलाल दलीचंद देशाई लिखित उपर्युक्त महत्त्वना आकरग्रंथर्नु नवसंस्करण कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचंद्राचार्य नवम जन्मशताब्दी स्मृति संस्कार शिक्षणनिधि तरफथी प्रकाशित करवानुं विचार्यु छे. श्रीजयंत कोठारी एनुं संपादन करशे. बहु महत्त्वाकांक्षी थई शकाय एवं नथी पण श्रीदेशाईए पाछळ दर्शावेली शुद्धिवृद्धि मूळ सामग्रीमां आमेज करी लेवाशे अने संपादक पोतानी जाणकारीथी थई शके ते थोडा सुधारा करशे. अथी वधारे तो आ विषयना विद्वानो मददे आवे तो ज थई शके. विद्वानो आ रीते मददरूप थई शके : १. ग्रंथ जोई जईने सुधारावधारा सूचवी शके. २. ग्रंथनो आ पूर्वे उपयोग करती वखते आ प्रकारनी नोंध करी होय ते उतारी आपी शके. ३. आवी नोंधवाळी पोतानी नकल संपादकने जोवा-उतारवा आपी शके. विद्वानोने एक महत्त्वना आकर ग्रंथना नवसंस्करणमां पोतानो फाळो नोंधाववा आग्रहभरी विनंती छे. काम हाथमा लेवाई रह्यं छे एटले बनी शके एटली त्वराथी शुद्धिवृद्धि अने अन्य सूचनो मोकलवामां आवे तो एनो उपयोग थई शके. विद्वानोने एमना परिश्रम माटे घटतो पुरस्कार आपवानी व्यवस्था पण छे. आ अंगे संपादकनो आ सरनामे संपर्क करशो. जयंत कोठारी २४, नेमिनाथ (सत्यकाम) सोसायटी, आंबावाडी, अमदावाद - ३८००१५ फोन (०७९) ६७४ ५० ५७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.520516
Book TitleAnusandhan 2000 00 SrNo 16
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShilchandrasuri
PublisherKalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
Publication Year2000
Total Pages254
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationMagazine, India_Anusandhan, & India
File Size8 MB
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