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जावड बाहड धनं वस्तुपाला, तरे जगड पेथड साहु तेजपाला । समर बप्पन्न पर्त्तक्ष पेषउ, भयं जय किमइ भीमकउ दान देखउ ॥३॥ तिणि दिणि माइ छंडे वि बाला तरे तिणि दिणि अन्नदुत्थईय काला । तिणि दिणि रखयउ लोक भगउ, भायों
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नाम भलउ भुजबलिहि, भीम भावठियउ भंजइ । श्रम विमलकुलि तिलउ, भीम रायांह मन रंजइ ॥ भीम दयालु खरउ, भीम मुख मीठड बुलइ । सीम धरम उधरइ, भीम धरमह धुरि तुलइ ॥
हिलपुर भीम पसंसियइ, भीम भीम सहु को कहइ । कवि कहइ विल्ह केसव० ॥ भीम जगीतहि जस लहइ
इति भीमछंद ।
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॥५॥
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